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मानवाधिकार आयोग की कार्रवाई: हरियाणा में प्रजापति समाज की जमीन पर अवैध कब्जों के खिलाफ सख्त कदम

हरियाणा में प्रजापति समाज की जमीन पर अवैध कब्जों के खिलाफ मानवाधिकार आयोग ने सख्त कदम उठाए हैं। आयोग ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिया है कि वह प्रभावशाली लोगों द्वारा कब्जाई गई भूमि को वापस दिलाने के लिए कार्रवाई करे। यह कदम प्रजापति समाज के पारंपरिक व्यवसायों और आजीविका की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और इसके पीछे की कहानी।
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मानवाधिकार आयोग की कार्रवाई: हरियाणा में प्रजापति समाज की जमीन पर अवैध कब्जों के खिलाफ सख्त कदम

प्रजापति समाज की जमीन पर अवैध कब्जों के खिलाफ मानवाधिकार आयोग की कार्रवाई

हरियाणा में अवैध कब्जों पर मानवाधिकार आयोग का कड़ा रुख: प्रजापति समाज की जमीन पर अवैध कब्जों के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने हरियाणा सरकार को सख्त निर्देश दिए हैं। चंडीगढ़ में प्रजापति समाज द्वारा की गई शिकायत के बाद आयोग ने मुख्य सचिव और जिला आयुक्त को नोटिस जारी किया है, जिसमें एक महीने के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट मांगी गई है।


इस कार्रवाई से उम्मीद जगी है कि प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा कब्जाई गई जमीन को वापस दिलाने में मदद मिलेगी। यह कदम प्रजापति समाज के पारंपरिक व्यवसायों और आजीविका की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।


अवैध कब्जों की शिकायत और आयोग की कार्रवाई


प्रजापति समाज ने NHRC को एक लिखित शिकायत प्रस्तुत की थी, जिसमें बताया गया कि पंचायत द्वारा आवंटित उनकी जमीन पर गांव के प्रभावशाली लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया है। इससे उनके पारंपरिक कार्य, जैसे मिट्टी के बर्तन बनाना, प्रभावित हो रहे हैं। आयोग ने इस शिकायत को गंभीरता से लिया और प्रशासन को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए। अब हरियाणा में अवैध कब्जों की पहचान की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जिससे समाज को न्याय की उम्मीद मिली है।


1966 की भूमि आवंटन और कब्जों का इतिहास


1966 में चकबंदी के दौरान हरियाणा के गांवों में प्रजापति समाज के लिए 7000 से 8000 एकड़ भूमि आवंटित की गई थी। यह भूमि गोचर भूमि के रूप में मिट्टी के काम और अन्य पारंपरिक कार्यों के लिए दी गई थी। लेकिन गुरुग्राम के फरुखनगर, सोहना, झज्जर, नारनौल और चरखी दादरी जैसे जिलों में प्रभावशाली लोगों ने इस भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया है।


इस स्थिति के कारण प्रजापति समाज के लोग अपने पारंपरिक कार्य नहीं कर पा रहे हैं और मजबूरी में उन्हें अन्य स्थानों पर पलायन करना पड़ा है।


सरकार की जिम्मेदारी और भविष्य की संभावनाएं


हरियाणा सरकार ने गोचर भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए कई अभियान चलाए हैं, लेकिन प्रजापति समाज की भूमि पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अब मानवाधिकार आयोग की सख्ती के बाद प्रशासन सक्रिय हुआ है।


यह कार्रवाई प्रजापति समाज के लिए उनकी भूमि और आजीविका वापस पाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी पहल सामाजिक न्याय को बढ़ावा देती है और यह हरियाणा के अन्य समुदायों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन सकती है।