मायावती की बहुजन समाज पार्टी को पुनर्जीवित करने की कोशिश

बसपा की नई शुरुआत
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती एक बार फिर से अपनी पार्टी को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं। 2022 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनावों में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद पार्टी की स्थिति कमजोर हो गई है। कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी देखी जा रही है। पिछले चुनाव में बसपा को केवल नौ प्रतिशत वोट मिले, जिससे यह चर्चा होने लगी कि पार्टी का अस्तित्व संकट में है। इसके अलावा, चंद्रशेखर आजाद ने आजाद समाज पार्टी का गठन कर बसपा के वोट बैंक और कांशीराम की विरासत पर दावा किया। उन्होंने नगीना सीट से लोकसभा चुनाव जीतकर बसपा को एक भी सीट न मिलने की स्थिति में धक्का दिया।
नए नेतृत्व के साथ पार्टी का पुनर्गठन
अब मायावती ने पार्टी को एकजुट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। 9 अक्टूबर को कांशीराम की पुण्यतिथि पर लखनऊ में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसमें पार्टी की ताकत को फिर से प्रदर्शित किया जाएगा। इस आयोजन की तैयारी एक महीने पहले से शुरू हो चुकी है। मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को राष्ट्रीय संयोजक नियुक्त किया है, जिससे नए नेतृत्व की स्थापना हुई है। इसके साथ ही, आकाश के ससुर और पूर्व राज्यसभा सांसद सिद्धार्थ अशोक की भी पार्टी में वापसी हुई है। मायावती की पार्टी बिहार चुनाव में भी पूरी ताकत से लड़ने की योजना बना रही है। हालांकि, बिहार में उनकी रणनीति को लेकर कुछ साजिश थ्योरी भी चल रही हैं, जिसमें कहा जा रहा है कि वे भाजपा के लिए काम कर सकती हैं, क्योंकि भाजपा को लगता है कि दलित वोट राजद की ओर जा रहा है और बसपा उसे तोड़ सकती है। लखनऊ की 9 अक्टूबर की रैली के बाद बसपा की दिशा पर नए सिरे से विचार किया जाएगा।