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मालेगांव ब्लास्ट केस में सभी आरोपियों को मिली बरी होने की राहत

मालेगांव ब्लास्ट (2008) मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित और अन्य आरोपियों को एनआईए की विशेष अदालत ने 31 जुलाई 2025 को बरी कर दिया। कर्नल पुरोहित की पत्नी ने एटीएस पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसमें अवैध गिरफ्तारी और टॉर्चर का जिक्र है। मामले की जांच में कई महत्वपूर्ण सुराग सामने आए, लेकिन अंततः कोर्ट ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया। जानें इस मामले की पूरी कहानी और कोर्ट के निर्णय के पीछे की वजह।
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मालेगांव ब्लास्ट केस में सभी आरोपियों को मिली बरी होने की राहत

मालेगांव ब्लास्ट केस का फैसला

मालेगांव ब्लास्ट (2008) मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और अन्य पांच आरोपियों को 31 जुलाई 2025 को एनआईए की विशेष अदालत ने बरी कर दिया।


कर्नल पुरोहित की पत्नी का आरोप

कर्नल पुरोहित की पत्नी अपर्णा ने आरोप लगाया है कि एटीएस ने उन्हें अवैध तरीके से गिरफ्तार किया, थर्ड डिग्री टॉर्चर किया और उनके घुटने तोड़ दिए। उनका कहना है कि कर्नल पुरोहित ने 2005 से 2007 के बीच आर्मी इंटेलिजेंस में रहते हुए फेक करेंसी रैकेट, जाकिर नाइक, दाऊद इब्राहिम और आईएसआई से संबंधित रिपोर्ट तैयार की।


जांच की शुरुआत

एटीएस की प्रारंभिक जांच हेमंत करकरे के नेतृत्व में हुई, जिसमें एक मोटरसाइकिल का सुराग मिला जो साध्वी प्रज्ञा के नाम पर पंजीकृत थी। इस सुराग के आधार पर एजेंसी ने प्रज्ञा, कर्नल पुरोहित, स्वामी असीमानंद, सुनील जोशी और अन्य के खिलाफ जांच को आगे बढ़ाया। अभिनव भारत संगठन और सुधाकर द्विवेदी का नाम भी इस मामले में सामने आया।


केस का ट्रांसफर और सुनवाई

2009-10 में यह मामला एनआईए को सौंपा गया। आरोपियों के खिलाफ यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया और वे लंबे समय तक जेल में रहे। 2017 में साध्वी प्रज्ञा को स्वास्थ्य कारणों से जमानत मिली, और 2019 में वे भोपाल से बीजेपी सांसद बनीं।


कोर्ट का निर्णय

सालों तक चली सुनवाई में कई गवाह अपने बयान से पलट गए। अंततः 31 जुलाई 2025 को अदालत ने सभी आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।