मालेगांव विस्फोट मामले में ओवैसी की प्रतिक्रिया: न्यायालय के फैसले पर उठे सवाल

ओवैसी का मालेगांव विस्फोट पर बयान
ओवैसी का मालेगांव विस्फोट मामले पर बयान: एनआईए कोर्ट ने मालेगांव विस्फोट मामले में सभी सात आरोपियों, जिनमें साध्वी प्रज्ञा सिंह और लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित शामिल हैं, को बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में असफल रहा है। आरोपियों को संदेह का लाभ दिया गया है। इनमें पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय राहिरकर, सुधाकर धर द्विवेदी और समीर कुलकर्णी शामिल हैं। इस फैसले का विरोध एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और अन्य नेताओं ने किया है।
हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने सोशल मीडिया पर इस फैसले पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने लिखा, "मालेगांव विस्फोट का निर्णय निराशाजनक है। विस्फोट में छह नमाजी मारे गए और लगभग 100 लोग घायल हुए। उन्हें उनके धर्म के कारण निशाना बनाया गया। दोषपूर्ण जांच और अभियोजन पक्ष की लापरवाही के कारण उन्हें बरी किया गया है। 17 साल बाद, अदालत ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। क्या मोदी और फडणवीस सरकारें इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगी, जैसे उन्होंने मुंबई ट्रेन विस्फोटों में आरोपियों को बरी करने के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी? क्या महाराष्ट्र के "धर्मनिरपेक्ष" राजनीतिक दल जवाबदेही की मांग करेंगे? उन छह लोगों की हत्या किसने की?"
ओवैसी ने आगे कहा, "2016 में इस मामले की तत्कालीन अभियोजक रोहिणी सालियान ने कहा था कि एनआईए ने उनसे आरोपियों के प्रति "नरम रुख" अपनाने को कहा था। 2017 में, एनआईए ने साध्वी प्रज्ञा को बरी करवाने की कोशिश की थी। वही व्यक्ति 2019 में भाजपा सांसद बनीं। करकरे ने मालेगांव में हुई साज़िश का पर्दाफ़ाश किया था और दुर्भाग्य से 26/11 के हमलों में पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा मारे गए थे। भाजपा सांसद ने सार्वजनिक रूप से कहा कि उन्होंने करकरे को श्राप दिया था और उनकी मृत्यु उसी श्राप का परिणाम थी।"
ओवैसी ने सवाल उठाया, "क्या एनआईए/एटीएस अधिकारियों को उनकी दोषपूर्ण जांच के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा? मुझे लगता है कि हमें इसका जवाब पता है। यह "आतंकवाद पर सख्त" मोदी सरकार है। दुनिया याद रखेगी कि इसने एक आतंकवाद के आरोपी को सांसद बनाया था।" उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव में मोटरसाइकिल पर रखे बम के विस्फोट में छह लोग मारे गए और 101 घायल हुए थे। एनआईए कोर्ट का यह फैसला लगभग 17 साल बाद आया है।
1. The Malegaon blast case verdict is disappointing. Six namazis were killed in the blast and nearly 100 were injured. They were targeted for their religion. A deliberately shoddy investigation/prosecution is responsible for the acquittal.
2. 17 years after the blast, the Court…— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) July 31, 2025
एनआईए कोर्ट का निर्णय:
मालेगांव विस्फोट पर सुनाए गए फैसले में एनआईए कोर्ट ने कहा कि एटीएस और एनआईए की चार्जशीट में काफी अंतर है। अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि बम मोटरसाइकिल में था। प्रसाद पुरोहित के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला कि उन्होंने बम बनाया या उसे सप्लाई किया। यह भी साबित नहीं हुआ कि बम किसने लगाया। घटना के बाद विशेषज्ञों ने सबूत इकट्ठा नहीं किए, जिससे सबूतों में गड़बड़ी हुई।
कोर्ट ने यह भी कहा कि धमाके के बाद पंचनामा ठीक से नहीं किया गया। घटनास्थल से फिंगरप्रिंट नहीं लिए गए और बाइक का चेसिस नंबर कभी रिकवर नहीं हुआ। साथ ही, वह बाइक साध्वी प्रज्ञा के नाम से थी, यह भी सिद्ध नहीं हो पाया।