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मुंबई ट्रेन ब्लास्ट के पीड़ित ने 9 करोड़ मुआवजे की मांग की

2006 में मुंबई में हुए ट्रेन ब्लास्ट के एक पीड़ित ने 9 करोड़ रुपये मुआवजे की मांग की है। उन्होंने मानवाधिकार आयोग में आवेदन दिया है, जिसमें उन्होंने जेल में बिताए गए वर्षों के कारण हुए नुकसान का जिक्र किया है। इस मामले में कई निर्दोष लोगों को गिरफ्तार किया गया था, और अब्दुल वाहिद शेख ने 2015 में बरी होने के बाद मुआवजे की मांग की है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और इसके पीछे के कारण।
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मुंबई ट्रेन ब्लास्ट के पीड़ित ने 9 करोड़ मुआवजे की मांग की

2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट का मामला

नई दिल्ली। 2006 में मुंबई में एक ट्रेन में हुए विस्फोट के मामले में कई निर्दोष व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था। एक व्यक्ति, जो 9 साल तक जेल में रहा, अब मुआवजे के रूप में 9 करोड़ रुपये की मांग कर रहा है। उसने मानवाधिकार आयोग में यह मांग प्रस्तुत की है। पीड़ित का कहना है कि जेल में बिताए गए वर्षों ने उसकी शिक्षा और व्यक्तिगत जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया। हालांकि, वह 2015 में बरी हो गया था, लेकिन उसने मुआवजे की मांग लगभग एक दशक बाद की है। इस मामले में कई निर्दोष लोग जेल गए थे।


ब्लास्ट की भयावहता

11 जुलाई 2006 को मुंबई में सात लोकल ट्रेनों के प्रथम श्रेणी डिब्बों में एक साथ विस्फोट हुए थे। ये सभी विस्फोट छह मिनट के भीतर हुए, जिसमें 187 लोगों की जान गई और 800 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए। कई लोग तो दिव्यांग भी हो गए थे। इस मामले में पुलिस और आतंकवाद निरोधी दस्ते ने कई लोगों को गिरफ्तार किया था। हाल ही में उच्च न्यायालय ने 12 लोगों को निर्दोष मानते हुए बरी कर दिया है। अब्दुल वाहिद शेख को पहले ही 2015 में बरी किया गया था। अब्दुल ने रिहाई के लगभग दस साल बाद मुआवजे की मांग की है। उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग में आवेदन किया है।


आतंकवादी के रूप में कलंक

आज भी लोग आतंवादी की नजर से देखते हैं

अब्दुल वाहिद शेख ने कहा कि गिरफ्तारी के बाद उन्हें आतंकवादी कहा गया था। 2015 में अदालत ने उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया, लेकिन इस कलंक के कारण उनकी मुश्किलें कम नहीं हुईं। बरी होने के बाद भी उन्हें काम नहीं मिला। अब्दुल वर्तमान में एक स्कूल शिक्षक हैं और अपने परिवार के लिए एकमात्र कमाने वाले व्यक्ति हैं। उन्होंने बताया कि जेल में रहने के कारण उनके परिवार को सामाजिक, भावनात्मक और आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा।


मुआवजे की मांग का कारण

इस कारण नहीं किया था दस साल तक मुआवजे की मांग

अब्दुल वाहिद शेख ने बताया कि उन पर लगभग 30 लाख रुपये का कर्ज भी था। उन्होंने नैतिक कारणों से दस साल तक मुआवजा नहीं मांगा। इसका मुख्य कारण यह था कि उनके साथ गिरफ्तार हुए आरोपी दोषी ठहराए जा चुके थे, जिनमें से पांच को फांसी और सात को उम्रकैद की सजा मिली थी। अब्दुल ने सभी आरोपियों के बरी होने के बाद ही मुआवजे का आवेदन किया है।