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मुंबई में बंधक कांड: शिक्षा विभाग से नाराज रोहित आर्य की कहानी

मुंबई में हुए बंधक कांड के पीछे की कहानी अब सामने आ रही है। आरोपी रोहित आर्य ने शिक्षा विभाग और सरकार के खिलाफ नाराजगी जताते हुए 19 लोगों को बंधक बना लिया। उसका आरोप है कि सरकार ने उसके प्रोजेक्ट का कॉन्सेप्ट चुराया और उसे कोई भुगतान नहीं किया। इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर रोहित की मौत के बाद। क्या यह एक मानसिक दबाव का परिणाम था या सच में उसके आइडिया का दुरुपयोग हुआ? जानें पूरी कहानी।
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मुंबई में बंधक कांड: शिक्षा विभाग से नाराज रोहित आर्य की कहानी

मुंबई में बंधक कांड का रहस्य


मुंबई: हाल ही में मुंबई में हुए एक चौंकाने वाले बंधक कांड की पृष्ठभूमि अब स्पष्ट हो रही है। आरोपी रोहित आर्य ने 19 लोगों, जिनमें 17 बच्चे शामिल थे, को बंधक बना लिया था। उसकी नाराजगी का मुख्य कारण शिक्षा विभाग और सरकार के प्रति उसकी असंतोषजनक प्रतिक्रिया थी।


रोहित का कहना है कि महाराष्ट्र सरकार ने उसके द्वारा विकसित 'माझी शाळा, सुंदर शाळा' प्रोजेक्ट का कॉन्सेप्ट और फिल्म के अधिकारों का उपयोग किया, लेकिन उसे न तो श्रेय दिया गया और न ही 2 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। अब इस मामले की जांच चल रही है।


'माझी शाळा, सुंदर शाळा' प्रोजेक्ट का विवाद

रोहित आर्य का दावा है कि महाराष्ट्र सरकार की 'माझी शाळा, सुंदर शाळा' योजना उसकी बनाई फिल्म 'लेट्स चेंज' के कॉन्सेप्ट पर आधारित थी। उसने यह विचार शिक्षा विभाग को 2022 में प्रस्तुत किया था, जिसे तत्कालीन शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने सराहा और लागू किया। लेकिन प्रोजेक्ट के कार्यान्वयन के बाद, रोहित को न तो कोई आर्थिक भुगतान मिला और न ही उसकी पहचान को मान्यता। यही उसकी नाराजगी का मुख्य कारण माना जा रहा है।


सरकार पर आरोप

रोहित ने आरोप लगाया कि उसके कॉन्सेप्ट का उपयोग कर सरकार ने ₹2 करोड़ का बजट जारी किया, लेकिन पूरा प्रोजेक्ट उसके बिना आगे बढ़ा दिया गया। उसने कई बार शिक्षा विभाग और मंत्रियों से संपर्क किया, लेकिन कोई समाधान नहीं मिला। इसके विरोध में उसने कई बार धरने और अनशन किए। एक बार तो उसने लगभग एक महीने तक अनशन किया था, जिसके बाद भी उसे केवल आश्वासन ही मिला।


आत्महत्या की धमकी

रोहित ने अपने पुराने वीडियो और सोशल मीडिया पोस्ट में शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर, उनके निजी सचिव मंगेश शिंदे और अन्य अधिकारियों का नाम लेते हुए कहा था कि अगर उसने आत्महत्या की, तो इन लोगों को जिम्मेदार ठहराया जाए। उसने कहा था कि 'सरकार ने मेरी मेहनत और सोच को छीन लिया, और मुझे अपमानित किया।' उसका यह बयान अब वायरल हो रहा है और जांच एजेंसियां इसे केस से जोड़कर देख रही हैं।


सरकार की प्रतिक्रिया

इस विवाद पर महाराष्ट्र के शिक्षा सचिव रंजीत सिंह देओल ने कहा कि रोहित को किसी भी तरह का ₹2 करोड़ देने का कोई समझौता नहीं हुआ था। उन्होंने बताया कि रोहित ने 'स्कूल स्वच्छता मॉनिटरिंग' प्रोजेक्ट में स्वेच्छा से काम किया था और इसके लिए उसे प्रमाणपत्र भी दिया गया था। वहीं, पूर्व मंत्री दीपक केसरकर ने कहा कि 'रोहित को विभाग की ओर से कुछ भुगतान किए गए थे, लेकिन उसने बिना अनुबंध के प्रोजेक्ट आगे बढ़ाया। किसी को बंधक बनाना गलत है, यह एक अपराध है।'


घटना का विवरण

घटना के दिन, रोहित आर्य ने मुंबई के पवई स्थित RA स्टूडियो में बच्चों को ऑडिशन के नाम पर बुलाया और 17 बच्चों समेत 19 लोगों को बंधक बना लिया। सूचना मिलते ही मुंबई पुलिस ने मौके पर पहुंचकर सभी बच्चों को सकुशल बचा लिया। इस दौरान रोहित ने एयरगन से पुलिस पर फायरिंग की, जिसके जवाब में पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली चलाई। रोहित गंभीर रूप से घायल हो गया और अस्पताल में डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।


रोहित आर्य की मौत के साथ ही महाराष्ट्र सरकार और शिक्षा विभाग पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। अब यह जांच का विषय है कि क्या सच में उसका आइडिया चुराया गया था, या यह सिर्फ एक मानसिक दबाव में उठाया गया चरम कदम था।