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मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने आम आदमी पार्टी के स्वास्थ्य मॉडल पर उठाए सवाल

दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता ने आम आदमी पार्टी के स्वास्थ्य मॉडल पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली के लोग आज भी चिकित्सा सेवाओं के लिए तरस रहे हैं और उनकी सरकार को स्वास्थ्य प्रणाली को सुधारने के लिए व्यापक योजना बनानी पड़ रही है। गुप्ता ने पिछले कार्यकाल की खामियों को उजागर करते हुए कहा कि अस्पतालों में बेड की कमी और डॉक्टरों की अनुपस्थिति है। उन्होंने नए सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों के निर्माण की भी जानकारी दी।
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मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने आम आदमी पार्टी के स्वास्थ्य मॉडल पर उठाए सवाल

मुख्यमंत्री का स्वास्थ्य मॉडल पर बयान

नई दिल्ली - मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता ने आज दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के स्वास्थ्य मॉडल पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इस मॉडल को खोजने में उन्हें अभी भी कठिनाई हो रही है। जबकि 'आप' सरकार अपने स्वास्थ्य मॉडल का बड़े पैमाने पर प्रचार करती है, दिल्ली के नागरिक आज भी चिकित्सा सेवाओं के लिए तरस रहे हैं। उनकी सरकार को स्वास्थ्य प्रणाली को सुधारने के लिए व्यापक योजना बनानी पड़ रही है। यदि 'आप' की स्वास्थ्य व्यवस्था इतनी प्रभावी होती, तो हमें पुनः सभी चीजों को व्यवस्थित करने की आवश्यकता क्यों होती?


उन्होंने बताया कि चार अस्पतालों में केवल एक-एक एम.एस. (डॉक्टर) नियुक्त किया गया था। उन्होंने सवाल किया कि क्यों कोई भर्ती नहीं की गई? डॉक्टरों और नर्सों की कमी क्यों है? पैरा मेडिकल स्टाफ की अनुपस्थिति क्यों है? ऐसा लगता है कि 'आप' केवल अपने लाभ में लगी हुई थी और दिल्ली की जनता के स्वास्थ्य की उन्हें कोई परवाह नहीं थी।


मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने 'आप' के स्वास्थ्य मॉडल की रिपोर्ट देखी है। उनके कार्यकाल के कारण आज दिल्ली के अस्पतालों में 1000 लोगों के लिए एक बेड भी उपलब्ध नहीं है। ट्रॉमा सेंटर और आईसीयू बेड की कमी है। पिछली सरकार ने अपने कार्यकाल में एक भी स्थायी नौकरी नहीं दी। 24 अधूरे अस्पतालों में करोड़ों रुपये बर्बाद हुए। कोविड के दौरान सात आईसीयू अस्पतालों में भारी निवेश किया गया, लेकिन उनमें से कोई भी कार्यशील नहीं हो पाया।


मुख्यमंत्री ने कहा कि हम नए सिरे से सात सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों का निर्माण कर रहे हैं और उन्हें निर्धारित समय पर पूरा करेंगे।


उन्होंने 'आप' नेताओं को भी धन्यवाद दिया और कहा कि जो लोग जलभराव की समस्या पर ध्यान देते हैं, वे उनकी सरकार को सूचित करते रहें। उन्होंने यह भी कहा कि ये समस्याएं उनकी सरकार के 11-12 साल के कार्यकाल की हैं। दिल्ली में जलभराव की समस्या को हल नहीं किया गया और नागरिकों को बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ा।