मुरादाबाद में बैंड कंपनी विवाद: राजनीति और धर्म का टकराव

बैंड बाजा विवाद का बढ़ता ताप
मुरादाबाद: कावड़ यात्रा के दौरान दूसरे समुदाय के लोगों द्वारा संचालित होटलों के खिलाफ जारी दिशा-निर्देशों के बाद, अब बैंड बाजा कंपनियों के बीच विवाद ने जोर पकड़ लिया है। हाल ही में हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर बैंड चलाने वाले मुस्लिम व्यक्तियों का मामला सामने आया है, जिसकी शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल पर की गई थी। इस मुद्दे पर पूर्व सांसद एसटी हसन ने कहा कि उत्तर प्रदेश में राजनीति मुसलमानों के खिलाफ नजर आती है। उन्होंने कहा कि राजनीति ने ऐसा माहौल बना दिया है कि हर छोटी बात में हिंदू-मुसलमान का रंग चढ़ जाता है।
एसटी हसन ने आगे कहा कि यदि किसी ने अग्रवाल या गुप्ता नाम रख लिया और वह बैंड बजाकर रोजी-रोटी कमा रहा है, तो इससे किसी के धर्म को ठेस नहीं पहुंचती। यह न तो खाने-पीने की चीज है और न ही किसी की आस्था से खिलवाड़। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि असली नाम रखना चाहिए ताकि देवी-देवताओं के नाम का गलत इस्तेमाल न हो। लोगों को यह स्पष्ट होना चाहिए कि बैंड वाला मुसलमान है या हिंदू। उन्होंने राजनीतिक दलों पर भी निशाना साधा और कहा कि नेताओं को ऐसी दूरियां नहीं पैदा करनी चाहिए कि लोग एक-दूसरे से मिलना-जुलना भूल जाएं। मुरादाबाद सांसद ने प्रदेश की मौजूदा राजनीति को निम्न स्तर की बताते हुए कहा कि आज सियासत ने इंसान को इस स्थिति में ला दिया है कि वह हिंदू और मुसलमान का नाम सुनना भी नहीं चाहता। कांवड़ यात्रा के दौरान ढाबों की चेकिंग और कामगारों की पेंट उतरवाकर जांच करवाना क्या तमाशा है? ऐसा लगता है कि पूरी सियासत मुसलमानों के खिलाफ की जा रही है। हसन ने अपील की कि राजनीति समाज को जोड़ने का कार्य करे, न कि लोगों के बीच दीवार खड़ी करने का।
बैंड बाजा विवाद के बढ़ने के साथ ही बैंड कंपनियों ने अपने दुकानों के नाम बदलने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। इसकी शुरुआत बुद्धिविहार में खुशलपुर रोड पर अग्रवाल बैंड से हुई, जिसे अब मिलन बैंड के नाम से जाना जाएगा।