मुरादाबाद में सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा: डॉक्टरों की संलिप्तता पर उठे सवाल

मुख्यमंत्री के आदेशों की अवहेलना
मुरादाबाद। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इसके बावजूद, मुरादाबाद में करोड़ों रुपये की सरकारी जमीन पर कब्जा करने का मामला बढ़ता जा रहा है। इसमें डॉक्टर मंजेश राठी का नाम सामने आया है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर केवल पत्राचार हो रहा है। सरकारी भूमि पर अवैध निर्माण और प्लॉटिंग का यह खेल जारी है, जबकि जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। यह स्पष्ट है कि वे मुख्यमंत्री के आदेशों की अनदेखी कर रहे हैं।
नजूल भूमि का विवाद
सिविल लाइंस क्षेत्र की नजूल भूमि गाटा संख्या–470 इस समय चर्चा का विषय बनी हुई है। इस भूमि का कुल क्षेत्रफल लगभग 4.95 एकड़ है, जिसमें से केवल 2713 वर्गमीटर भूमि फ्री होल्ड है, जबकि शेष 17318 वर्गमीटर सरकारी नजूल भूमि है। इस भूमि पर लंबे समय से कब्जा करने का खेल चल रहा है, जिसमें डॉ. मंजेश राठी और अन्य प्रभावशाली लोग शामिल हैं। जब मामला बढ़ा, तो जिलाधिकारी ने मुरादाबाद विकास प्राधिकरण (MDA) को इस पर कार्रवाई करने के लिए लिखा। सूत्रों के अनुसार, डॉक्टर ने नजूल भूमि पर निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई से बच रहे हैं। इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर भी की गई है।
डीएम का निर्देश
जिलाधिकारी अनुज सिंह ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए MDA को पत्र लिखा है। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि फ्री होल्ड भूमि को छोड़कर बाकी नजूल भूमि को शासन के हित में सुरक्षित किया जाए और अतिक्रमण करने वालों की पहचान कर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
डॉक्टरों का दावा
सिविल लाइंस क्षेत्र में डॉ. मंजेश राठी का DMR हॉस्पिटल सहित कई प्रतिष्ठान हैं। अब ये सभी अपने स्तर पर जमीन को फ्री होल्ड बताकर दावा पेश करने में जुटे हैं, लेकिन किसी ने भी अपने फ्री होल्ड या नामांतरण के दस्तावेज सार्वजनिक नहीं किए हैं। यही कारण है कि मामला लगातार बढ़ता जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि यदि इस भूमि की निष्पक्ष जांच की गई, तो सरकारी संपत्ति के वर्षों से चल रहे बंदरबांट का खुलासा हो सकता है। इसमें स्थानीय रसूखदारों से लेकर संस्थागत नामों तक के शामिल होने की संभावना है।
संस्थाओं की भूमिका पर सवाल
जिलाधिकारी कार्यालय से जारी पत्र में उल्लेख है कि नजूल भूखण्ड संख्या–470 (पुराना प्लॉट नंबर–129) ग्राम छावनी की यह कुल 4.95 एकड़ जमीन मूल रूप से भागीरथी उर्फ कुट्टी पुत्री मीर खां को आवासीय प्रयोजनार्थ पट्टे पर दी गई थी। पट्टाधारक की मृत्यु के बाद उनके वारिसों के नाम भूमि दर्ज की गई। हालांकि, नजूल मैनुअल के पैरा 67 में स्पष्ट प्रावधान है कि किसी भी नजूल भूमि का स्थायी पट्टा किसी भी शर्त पर नहीं दिया जा सकता। इसके बावजूद इस जमीन पर निर्माण कार्य, प्लॉटिंग और नामांतरण जैसी गतिविधियां की गईं, जो नियमों के विपरीत हैं।
MDA और अन्य अधिकारियों की भूमिका
MDA वीसी, नगर आयुक्त और तहसीलदार की भूमिका संदिग्ध
नजूल की सरकारी जमीन पर बन रहे अवैध निर्माण का नक्शा भी पास कर दिया गया है। इसको लेकर पर्दाफाश की टीम ने MDA वीसी से बात की तो उनका साफ कहना था कि सभी विभागों की एनओसी थी, जिसके कारण नक्शा पास कर दिया गया और इसकी रिपोर्ट डीएम को भेज दी गयी। ऐसे में साफ है कि, MDA वीसी, नगर आयुक्त और तहसीलदार की भूमिका पूरी तरह से संदिग्ध है।