Newzfatafatlogo

मोतियाबिंद सर्जरी: मिथकों का सच और सुरक्षित उपचार के तरीके

मोतियाबिंद एक सामान्य नेत्र रोग है, जो विशेष रूप से बुजुर्गों को प्रभावित करता है। इस लेख में, हम मोतियाबिंद सर्जरी से जुड़े सामान्य मिथकों और सच्चाइयों पर चर्चा करेंगे। जानें कि सर्जरी कब करानी चाहिए, क्या मौसम का असर पड़ता है, और लेंस के महत्व के बारे में। यह जानकारी आपको सही निर्णय लेने में मदद करेगी।
 | 
मोतियाबिंद सर्जरी: मिथकों का सच और सुरक्षित उपचार के तरीके

मोतियाबिंद: एक सामान्य नेत्र रोग

मोतियाबिंद एक सामान्य आंखों की समस्या है, जो विशेष रूप से वृद्ध लोगों को प्रभावित करती है। इस स्थिति में आंख का लेंस धुंधला हो जाता है, जिससे दृष्टि में कठिनाई होती है। लेंस के भीतर मौजूद प्रोटीन धीरे-धीरे टूटकर जमा होने लगते हैं, जिससे प्रकाश रेटिना तक सही तरीके से नहीं पहुंच पाता और दृष्टि धुंधली हो जाती है।


सर्जरी: एक प्रभावी और सुरक्षित विकल्प

इस बीमारी का इलाज करने के लिए सर्जरी एक प्रभावी और सुरक्षित उपाय है, लेकिन इसके बारे में कई भ्रांतियां लोगों को समय पर उपचार से दूर कर देती हैं। बैंगलोर के नेत्रदामा सुपर स्पेशियलिटी आई हॉस्पिटल की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. सुप्रिया श्रीगणेश ने इस विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है।


मिथक 1: मोतियाबिंद का पूरी तरह पकना आवश्यक है

यह आम धारणा है कि मोतियाबिंद के पूरी तरह विकसित होने तक सर्जरी नहीं करानी चाहिए। यह गलत है। मोतियाबिंद को अधिक समय तक बढ़ने देना आंखों की दृष्टि को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है और सर्जरी को भी जटिल बना सकता है। इसलिए, जैसे ही मोतियाबिंद से देखने में कठिनाई होने लगे, तुरंत सर्जरी की योजना बनानी चाहिए।


मिथक 2: बारिश में सर्जरी नहीं हो सकती

पहले जब सर्जरी बड़े चीरे और लंबे रिकवरी समय के साथ होती थी, तब यह सच हो सकता था। लेकिन आजकल की आधुनिक लेज़र तकनीकों के साथ, मोतियाबिंद सर्जरी किसी भी मौसम में सुरक्षित रूप से की जा सकती है। यह प्रक्रिया न तो दर्दनाक होती है और न ही इसमें खून बहता है।


मिथक 3: लेंस लगवाना आवश्यक नहीं है

कुछ लोग मानते हैं कि मोतियाबिंद हटाने के बाद बिना लेंस के भी देखा जा सकता है। लेकिन सच्चाई यह है कि आंख में लेंस न होने पर दृष्टि स्पष्ट नहीं हो सकती। इसलिए, मोतियाबिंद हटाने के बाद एक कृत्रिम लेंस (IOL) लगाना आवश्यक है, ताकि रेटिना तक रोशनी सही तरीके से पहुंचे।


मिथक 4: सर्जरी के बाद मोतियाबिंद फिर से हो सकता है

यह एक सामान्य भ्रांति है। सर्जरी के दौरान धुंधला लेंस पूरी तरह से निकाला जाता है और उसकी जगह नया लेंस लगाया जाता है। यदि कुछ समय बाद दृष्टि फिर से धुंधली लगे, तो यह 'पोस्टीरियर कैप्सूलर ओपेसिफिकेशन (PCO)' के कारण हो सकता है, जिसे लेज़र से ठीक किया जा सकता है। यह दोबारा मोतियाबिंद नहीं होता।


मिथक 5: लेंस को बाद में बदला जा सकता है

कुछ मरीजों का मानना है कि सर्जरी के बाद लगे लेंस को आसानी से बदला जा सकता है। वास्तव में, यह लेंस स्थायी होता है और आमतौर पर जीवन भर रहता है। केवल विशेष परिस्थितियों में, जैसे लेंस के खिसकने या अन्य जटिलताओं की स्थिति में ही इसे बदला जाता है। इसलिए, सही लेंस का चुनाव पहले से सोच-समझकर करना चाहिए।