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मोदी और पुतिन के बीच महत्वपूर्ण वार्ता, यूक्रेन युद्ध और आतंकवाद पर चर्चा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हाल ही में हुई द्विपक्षीय वार्ता में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई। इस बैठक में यूक्रेन युद्ध, आतंकवाद से निपटने की रणनीति और ऊर्जा सहयोग जैसे विषय शामिल थे। दोनों नेताओं ने भारत-रूस संबंधों की मजबूती को दोहराया। इस वार्ता के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर की अनुपस्थिति पर भी चर्चा हुई। जानें इस महत्वपूर्ण मुलाकात के बारे में और क्या बातें हुईं।
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मोदी और पुतिन के बीच महत्वपूर्ण वार्ता, यूक्रेन युद्ध और आतंकवाद पर चर्चा

भारत-रूस की द्विपक्षीय बैठक

नई दिल्ली। चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। यह बैठक शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के दौरान सोमवार को हुई। दोनों नेताओं के बीच की केमिस्ट्री स्पष्ट रूप से देखी गई, जब वे एक ही गाड़ी में बैठकर लगभग 50 मिनट तक बातचीत करते रहे। इस वार्ता को गुप्त रखा गया है और इसके विवरण सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।


चीन के तियानजिन में एससीओ बैठक के दूसरे दिन, भारत और रूस के बीच हुई इस महत्वपूर्ण वार्ता में पुतिन के पास रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव बैठे थे, जबकि भारत की ओर से प्रधानमंत्री मोदी के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल उपस्थित थे। विदेश मंत्री एस जयशंकर स्वास्थ्य कारणों से इस सम्मेलन में शामिल नहीं हो सके।


इस द्विपक्षीय बातचीत में रूस-यूक्रेन युद्ध, ऊर्जा सहयोग और अन्य वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की गई। मोदी और पुतिन ने भारत-रूस संबंधों की मजबूती को फिर से दोहराया और विश्वास जताया कि बदलते हालात में भी यह रिश्ता अडिग रहेगा। डोवाल ने इस वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया और सुरक्षा व रणनीतिक मुद्दों पर भारत का पक्ष रखा।


पुतिन और मोदी ने रूस में एक बड़ी सेडान कार में यात्रा की। दोनों नेता इसी गाड़ी से रिट्ज कार्लटन होटल पहुंचे, जहां उनकी द्विपक्षीय वार्ता हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने इस संबंध में सोशल मीडिया पर लिखा, ‘एससीओ समिट के औपचारिक कार्यक्रम के बाद राष्ट्रपति पुतिन और मैं साथ में हमारी दोपक्षीय बैठक के स्थल तक गए। उनके साथ बातचीत हमेशा ज्ञानवर्धक होती है’।


सूत्रों के अनुसार, मोदी और पुतिन की मुलाकात में यूक्रेन युद्ध, आतंकवाद से निपटने की रणनीति, और क्षेत्रीय संपर्क जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। विदेश मंत्री एस जयशंकर की अनुपस्थिति पर कई अटकलें लगाई जा रही हैं। जानकारों का कहना है कि स्वास्थ्य कारणों से वे सम्मेलन में शामिल नहीं हो पाए। हालांकि, विदेश मंत्रालय की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। यह भी ध्यान देने योग्य है कि हाल के दिनों में जयशंकर और डोवाल के बीच तनाव की खबरें आई हैं।