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मोदी सरकार के 11 वर्षों में भारतीय संस्कृति का पुनरुत्थान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने पिछले 11 वर्षों में सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं के संरक्षण में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। 'विरासत भी, विकास भी' के सिद्धांत के तहत, सरकार ने प्रमुख धार्मिक स्थलों का कायाकल्प किया, सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा दिया और समावेशी दृष्टिकोण अपनाया। इस लेख में जानें कि कैसे भारत ने अपनी सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत किया है और धरोहरों की वापसी के प्रयास किए हैं।
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मोदी सरकार के 11 वर्षों में भारतीय संस्कृति का पुनरुत्थान

संस्कृति और विकास का समन्वय

कुमार गौरव, नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 11 वर्षों में भारत सरकार ने 'विरासत भी, विकास भी' के सिद्धांत को नीति और कार्यों में लागू करते हुए भारतीय संस्कृति, धरोहर और परंपराओं के संरक्षण और संवर्धन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। संस्कृति मंत्रालय की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 2014 से 2025 तक का समय भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की एक सुनहरी कहानी बन चुका है।


प्रमुख सांस्कृतिक स्थलों का विकास

सरकार ने अयोध्या, काशी और उज्जैन जैसे प्राचीन धार्मिक स्थलों का कायाकल्प करते हुए उन्हें वैश्विक पहचान दिलाई।


काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर (वाराणसी) - गंगा घाटों से मंदिर परिसर तक का सौंदर्यीकरण और संपर्क।


महाकाल लोक (उज्जैन) - महाकालेश्वर मंदिर का भव्य पुनर्विकास, पर्यटक सुविधाओं का विस्तार।


राम मंदिर (अयोध्या) - जनवरी 2024 में श्रीरामलला के भव्य मंदिर का उद्घाटन।


केदारनाथ, सोमनाथ, कामाख्या सहित देशभर के तीर्थस्थलों का जीर्णोद्धार एवं अधोसंरचना विकास।


धार्मिक पर्यटन में सुधार

सांस्कृतिक स्थलों तक पहुंच को आसान बनाने के लिए बुनियादी ढांचे में बड़ा निवेश किया गया है।


चारधाम महामार्ग परियोजना - 825 में से 616 किलोमीटर मार्ग पूर्ण।


हेमकुंड साहिब रोपवे - ₹2730 करोड़ की लागत से तीर्थयात्रियों के लिए आसान पहुंच।


बौद्ध सर्किट और करतारपुर कॉरिडोर - विभिन्न धार्मिक पथों को जोड़ने की ऐतिहासिक पहल।


सांस्कृतिक 'सॉफ्ट पावर' का विस्तार

भारत की सांस्कृतिक कूटनीति ने योग, संगीत, शास्त्रीय कलाओं और परंपराओं को वैश्विक मंचों पर स्थापित किया है।


अंतरराष्ट्रीय योग दिवस - अब 23.4 करोड़ लोगों का विश्वस्तरीय सांस्कृतिक पर्व।


G-20 सांस्कृतिक समागम - भारत की सांस्कृतिक विविधता का अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन।


AYUSH और आयुर्वेद - 35 देशों में 39 केंद्र, WHO सहयोग, 9वां आयुर्वेद दिवस 150 देशों में।


समावेशी सांस्कृतिक संरक्षण

भारत सरकार ने विभिन्न धर्मों और परंपराओं के संरक्षण के लिए समावेशी दृष्टिकोण अपनाया है। प्रसाद योजना के तहत मंदिरों के साथ मस्जिदों, चर्चों, दरगाहों और मठों का विकास किया गया है। वहीं, स्वदेश दर्शन और HRIDAY कार्यक्रम के जरिए विरासत शहरों और पर्यटन स्थलों का सांस्कृतिक पुनरुद्धार किया गया है।


धरोहरों की वापसी

केंद्र सरकार की दृढ़ राजनयिक पहल से 2014 से अब तक 642 प्राचीन मूर्तियां और धरोहर वस्तुएं भारत लौटाई गईं, जिनमें से 578 अकेले अमेरिका से वापस आईं। यह अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा है। मोदी सरकार में राष्ट्र निर्माताओं और नायकों को भी श्रद्धांजलि देने के लिए पहल की गई है। ऐतिहासिक स्मारकों और राष्ट्रीय स्थलों के निर्माण के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम, सैन्य बलों और पूर्व प्रधानमंत्रियों को सम्मानित किया गया है।


वक्फ पारदर्शिता और डिजिटल क्रांति

2025 में वक्फ (संशोधन) अधिनियम लागू कर देशभर की वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण किया गया, जिससे पारदर्शिता और प्रशासनिक जवाबदेही सुनिश्चित हुई। वहीं, वेव्स 2025 के जरिए वैश्विक सांस्कृतिक और मीडिया मंच तैयार किया गया है। भारत अब वैश्विक मीडिया व मनोरंजन का केंद्र बन रहा है।


सांस्कृतिक समावेशन और डिजिटल डॉक्यूमेंटेशन

'राष्ट्रीय सांस्कृतिक डिजिटल डेटाबेस' के माध्यम से 2 लाख से अधिक कलाकारों, सांस्कृतिक संस्थाओं और विरासत स्थलों का डिजिटल विवरण तैयार किया गया है। डिजिटल इंडिया अभियान के साथ सांस्कृतिक डॉक्यूमेंटेशन का अभूतपूर्व विस्तार किया गया है।


विरासत और विकास का संतुलित मार्ग

भारत सरकार की सांस्कृतिक नीति के तहत भारत की विरासत केवल अतीत का गौरव नहीं, बल्कि भविष्य का मार्गदर्शन भी है। इस विचारधारा को जीवंत करने का प्रयास किया गया है। 'विरासत भी, विकास भी' अब एक नारा नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय दृष्टिकोण बन चुका है।