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मोदी सरकार के तीसरे वर्ष का जश्न: भारत की अर्थव्यवस्था में नया मुकाम

नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार का एक वर्ष पूरा होने वाला है, जिसमें भारत ने चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का मुकाम हासिल किया है। इस अवसर पर सरकार बड़े उत्सव की योजना बना रही है, जिसमें विकास और ऑपरेशन सिंदूर जैसे मुद्दों को प्रमुखता दी जाएगी। प्रधानमंत्री मोदी ने इस उपलब्धि को लेकर गर्व महसूस किया है, जबकि कुछ अर्थशास्त्री इस पर और आंकड़ों की प्रतीक्षा करने की सलाह दे रहे हैं। जानें इस जश्न के पीछे की कहानी और इसके राजनीतिक महत्व के बारे में।
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मोदी सरकार के तीसरे वर्ष का जश्न: भारत की अर्थव्यवस्था में नया मुकाम

मोदी सरकार का एक साल पूरा होने का जश्न

नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार के एक वर्ष का कार्यकाल पूरा होने वाला है, जबकि प्रधानमंत्री के रूप में उनके 11 वर्ष पूरे हो चुके हैं। उन्होंने पहली बार 26 मई 2014 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। तीसरी सरकार का पहला वर्ष 8 जून को समाप्त होगा, और इस अवसर पर सरकार बड़े उत्सव की योजना बना रही है। इस उत्सव का मुख्य विषय विकास और ऑपरेशन सिंदूर होगा। यह एक संयोग है कि सरकार के एक वर्ष पूरा होने से पहले यह जानकारी आई है कि भारत अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, जिसने जापान को पीछे छोड़ दिया है। नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने यह जानकारी नीति आयोग की गवर्निंग कौंसिल की बैठक के बाद दी। इसके बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात में अपनी सभाओं में यह बात दोहराई कि भारत चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है।


मोदी ने बताया कि जब वे 11 साल पहले प्रधानमंत्री बने थे, तब भारत 11वें स्थान पर था, लेकिन अब वह सात देशों को पीछे छोड़कर चौथे स्थान पर आ गया है। उन्होंने विशेष रूप से ब्रिटेन को पीछे छोड़ने का उल्लेख किया और कहा कि ‘जिन्होंने भारत पर ढाई सौ साल राज किया’ उनकी अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ दिया गया है। हालांकि, नीति आयोग के सदस्य और अर्थशास्त्री अरविंद विरमानी ने कहा कि हमें साल के अंत तक इंतजार करना चाहिए और जीडीपी के आंकड़ों के आधार पर ही यह तय किया जा सकेगा कि भारत चौथी अर्थव्यवस्था बन गया है। लेकिन चूंकि सरकार के एक वर्ष का जश्न मनाया जा रहा है, इसलिए इसका प्रचार पहले से ही शुरू हो गया है। इस एक साल के उत्सव में यह प्रचार का मुख्य मुद्दा होगा। दूसरा महत्वपूर्ण मुद्दा ऑपरेशन सिंदूर है, जो राष्ट्रवाद और देशभक्ति के एजेंडे को बढ़ावा देगा। चूंकि ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तान के खिलाफ एक अभियान था, इसलिए इसमें धर्म का मुद्दा अपने आप शामिल हो जाएगा।