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मोसाद का कतर में हमास नेताओं पर हमला करने से इनकार, इजरायल में उठे सवाल

मोसाद ने कतर में हमास नेताओं पर हमले से इनकार किया, जिससे इजरायल में सवाल उठने लगे हैं। इस निर्णय के पीछे की वजहें और इसके परिणामों पर चर्चा की गई है। इजरायल ने दोहा में हवाई हमला किया, लेकिन यह असफल रहा। जानें इस घटनाक्रम के प्रभाव और क्षेत्रीय स्थिरता पर इसके संभावित असर के बारे में।
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मोसाद का कतर में हमास नेताओं पर हमला करने से इनकार, इजरायल में उठे सवाल

मोसाद का निर्णय और इजरायल की प्रतिक्रिया

दुनिया की सबसे शक्तिशाली खुफिया एजेंसी, मोसाद, ने हाल ही में कतर में हमास के उच्च पदस्थ नेताओं को निशाना बनाने के लिए इजरायल सरकार के ऑपरेशन को अस्वीकार कर दिया। यह जानकारी वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट में सामने आई है। मोसाद को चिंता थी कि इस प्रकार के हमले से बंधक रिहाई और युद्धविराम की बातचीत प्रभावित हो सकती है, साथ ही कतर के साथ उनके संबंध भी खराब हो सकते हैं। इस निर्णय ने इजरायल को हवाई हमले करने के लिए मजबूर किया, जिसके परिणामस्वरूप देश के भीतर सवाल उठने लगे हैं।


कतर में हवाई हमले का परिणाम

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, मोसाद के इनकार के बाद इजरायल ने कतर की राजधानी दोहा में हवाई हमला किया। दो इजरायली सूत्रों ने वॉशिंगटन पोस्ट को बताया कि मोसाद के निदेशक डेविड बार्निया ने कतर के साथ भविष्य के संबंधों को लेकर चिंता व्यक्त की थी और इस योजना का विरोध किया। एक सूत्र ने कहा, "हम उन्हें एक, दो या चार साल में पकड़ सकते हैं और मोसाद जानता है कि यह कैसे करना है।" इस ऑपरेशन की तुलना ईरान में हमास नेता इस्माइल हानिया की हत्या से की गई, लेकिन मोसाद ने कतर में ऐसा करने से परहेज किया।


दोहा हमले की विफलता

हमले का असफल परिणाम


इजरायल ने मंगलवार को दोहा में हमास नेताओं को निशाना बनाया, लेकिन यह हमला किसी भी प्रमुख हमास अधिकारी को मारने में असफल रहा। हमास ने पुष्टि की कि उसका कार्यकारी नेता खलील अल-हय्या इस हमले में सुरक्षित बच गया। अल-हय्या अपने बेटे हम्माम के अंतिम संस्कार में शामिल हुआ, जो उसी हमले में मारा गया था। इस नाकामी ने इजरायल में आलोचना को जन्म दिया, खासकर बंधक वार्ता के दौरान हमले के समय और तरीके को लेकर।


युद्धविराम पर प्रभाव

बंधक वार्ता पर असर की चिंता


बंधक रिहाई और युद्धविराम वार्ता से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने चैनल 12 को बताया कि अधिकांश रक्षा प्रतिष्ठान ने इस हमले को टालने की सलाह दी थी। इजरायल के इस कदम ने न केवल कतर के साथ संबंधों पर सवाल उठाए, बल्कि बंधक समझौते की प्रगति को भी खतरे में डाल दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना क्षेत्रीय स्थिरता और मध्यस्थता प्रयासों को प्रभावित कर सकती है।