मोहन भागवत का कोलकाता में बयान: बाबरी मस्जिद निर्माण को बताया राजनीतिक साजिश
कोलकाता में मोहन भागवत का कार्यक्रम
बंगाल: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में कोलकाता में आयोजित एक कार्यक्रम में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद के निर्माण के प्रयास को एक राजनीतिक साजिश करार दिया और हिंदू एकता की आवश्यकता पर जोर दिया।
बाबरी मस्जिद निर्माण पर भागवत की टिप्पणी
मुर्शिदाबाद जिले में तृणमूल कांग्रेस के निलंबित विधायक हुमायूं कबीर द्वारा बेलडांगा में बाबरी मस्जिद की आधारशिला रखे जाने पर भागवत ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद पुराना विवाद समाप्त हो गया था।
अब फिर से बाबरी मस्जिद का निर्माण कर उस विवाद को पुनर्जीवित करने की कोशिश की जा रही है, जो केवल वोट की राजनीति के लिए किया जा रहा है। इससे न तो हिंदुओं को लाभ होगा और न ही मुसलमानों को।
उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसा नहीं होना चाहिए। भागवत ने याद दिलाया कि राम मंदिर का मामला अदालत में लंबे समय तक चला और अंततः मंदिर का निर्माण हुआ। अब नए विवाद को जन्म देना गलत है।
हिंदू एकता और बंगाल की स्थिति
मोहन भागवत ने बंगाल के संदर्भ में कहा कि यदि हिंदू समाज एकजुट होकर खड़ा हो जाए, तो यहां की स्थिति जल्दी बदल सकती है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक बदलाव संघ का उद्देश्य नहीं है, बल्कि संघ सामाजिक बदलाव के लिए कार्य करता है। हिंदुओं को संगठित और मजबूत रहना चाहिए।
#WATCH | Kolkata, West Bengal: On the foundation stone of Babri Masjid laid by suspended TMC MLA Humayun Kabir in Beldanga, RSS Chief Mohan Bhagwat says, "...Now, this is a political conspiracy to restart the dispute by rebuilding the Babri Masjid. This is being done for votes;… pic.twitter.com/V9j4707OSo
— News Media (@NewsMedia) December 21, 2025
बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति
भागवत ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों का उल्लेख किया। वहां हिंदू अल्पसंख्यक हैं और उनकी स्थिति बहुत कठिन है। फिर भी, वहां के हिंदुओं को एकता बनाए रखनी चाहिए। उन्होंने दुनिया भर के हिंदुओं से अपील की कि वे उनकी मदद करें। भारत सरकार को भी इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए और आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
हिंदू राष्ट्र की अवधारणा
हिंदू राष्ट्र के विषय पर भागवत ने कहा कि भारत हमेशा से हिंदू राष्ट्र रहा है। यह सूरज के पूर्व से उगने के समान सत्य है। जो कोई भी भारत को अपनी मातृभूमि मानता है और भारतीय संस्कृति का सम्मान करता है, वह हिंदू है।
संविधान में शब्द जोड़ने या न जोड़ने से कोई फर्क नहीं पड़ता। जाति व्यवस्था हिंदुत्व की पहचान नहीं है। भागवत के इन बयानों से स्पष्ट है कि वे हिंदू एकता, सामाजिक सद्भाव और राजनीतिक साजिशों से दूर रहने की बात कर रहे हैं।
