मोहन भागवत का भारत की एकता और प्रगति पर जोरदार बयान

भारत की एकता और प्रगति पर मोहन भागवत का दृष्टिकोण
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को एक पुस्तक विमोचन समारोह में भारत की प्रगति और एकता पर महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भारत न केवल सभी नकारात्मक भविष्यवाणियों को गलत साबित कर रहा है, बल्कि विकास के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। अपने संबोधन में भागवत ने देश की एकता और अखंडता पर जोर देते हुए कहा, 'हम आगे बढ़ेंगे, हम नहीं बंटेंगे।' उन्होंने यह भी कहा कि भले ही इतिहास में हम कभी बंटे थे, लेकिन अब हम सबको जोड़ने का प्रयास करेंगे।
भागवत ने पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल के उस कथन का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि ब्रिटिश शासन के अंत के बाद भारत एकजुट नहीं रह पाएगा। भागवत ने इस बयान को संदर्भित करते हुए कहा कि भारत ने न केवल चर्चिल की भविष्यवाणी को गलत साबित किया है, बल्कि स्वतंत्रता के बाद से अपनी एकता और प्रगति के साथ विश्व में एक मजबूत स्थान बनाया है। उन्होंने ब्रिटेन को इशारों में यह भी बताया कि भारत की ताकत उसकी एकता और सांस्कृतिक विरासत में निहित है, जो इसे हर चुनौती का सामना करने में सक्षम बनाती है।
भारत का विकास और वैश्विक प्रभाव
संघ प्रमुख ने अपने भाषण में भारत के विकास की चर्चा की। उन्होंने कहा कि आज भारत आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति कर रहा है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, शिक्षा और उद्यमिता के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियां विश्व स्तर पर चर्चा का विषय बन रही हैं। भागवत ने यह स्पष्ट किया कि भारत की यह प्रगति केवल आर्थिक आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश की एकता, संस्कृति और सामाजिक समरसता का भी प्रतीक है।
एकता और समावेशिता का संदेश
मोहन भागवत ने अपने भाषण में देशवासियों से एकजुट रहने और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत की ताकत उसकी विविधता में एकता है। विभिन्न धर्मों, भाषाओं और संस्कृतियों के बावजूद, भारत ने हमेशा एकता का परिचय दिया है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अतीत में कुछ विभाजनकारी ताकतों ने देश को कमजोर करने की कोशिश की, लेकिन भारत ने हर बार अपनी एकता के बल पर उन चुनौतियों को पार किया है।