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मोहन भागवत का संदेश: आस्था और तर्क का संतुलन आवश्यक

इंदौर में एक कार्यक्रम के दौरान, मोहन भागवत ने भारत की आस्था और तर्क के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में तर्क और परंपरा का संतुलन है, जो समाज की एकता और प्रगति के लिए आवश्यक है। भागवत ने युवाओं से अपील की कि वे आधुनिकता के साथ-साथ भारतीय परंपरा को भी महत्व दें। उनका मानना है कि आस्था और विश्वास जीवन का मार्गदर्शन करते हैं।
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मोहन भागवत का संदेश: आस्था और तर्क का संतुलन आवश्यक

भारत की आस्था और तर्क का महत्व

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को इंदौर में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारत केवल तर्क और शास्त्रीय बहसों का केंद्र नहीं है, बल्कि यह आस्था और विश्वास का भी गढ़ है। उन्होंने अपने भाषण में बताया कि हमारा देश आस्था की भूमि है और तर्क तथा शास्त्रार्थ में हम किसी से पीछे नहीं हैं। लेकिन, जीवन को संचालित करने का असली आधार आस्था और विश्वास ही होता है।



उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी ताकत यह है कि यहां तर्क और परंपरा का संतुलन देखने को मिलता है। भागवत ने यह स्पष्ट किया कि देश की प्रगति और समाज की एकता के लिए आवश्यक है कि हम अपनी जड़ों से जुड़े रहें और अपनी आस्था को जीवन का मार्गदर्शक बनाएं।


इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए, जिनमें सामाजिक संगठन, शिक्षाविद और युवा शामिल थे। मोहन भागवत ने युवाओं से आग्रह किया कि वे आधुनिकता और विज्ञान के साथ-साथ भारतीय परंपरा और विश्वास को भी महत्व दें। उन्होंने कहा कि तर्क से बुद्धि में वृद्धि होती है और विश्वास से जीवन की दिशा मिलती है। दोनों का संतुलन ही हमें एक मजबूत राष्ट्र बनाता है।