यमन में भारतीय नर्स की मौत की सजा पर परिवार का स्पष्ट विरोध

परिवार ने राहत की खबरों को खारिज किया
यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को दी गई मौत की सजा के बारे में राहत की खबरों को मृतक तलाल अब्दो महदी के परिवार ने पूरी तरह से अस्वीकार कर दिया है। तलाल के भाई अब्दुल फतेह ने स्पष्ट रूप से कहा कि उनका भाई किसी सौदे का सामान नहीं है और न ही किसी को उसके खून के बदले मोलभाव करने का अधिकार है।
धर्म के नाम पर नायक बनने की कोशिश
न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, अब्दुल फतेह ने कहा, "कुछ लोग धर्म का सहारा लेकर खुद को नायक साबित करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे हमारे दर्द का फायदा उठाना चाहते हैं। तलाल का खून किसी बाजार में बिकने वाली वस्तु नहीं है।"
ग्रैंड मुफ्ती के दावे का खंडन
उन्होंने ग्रैंड मुफ्ती के दफ्तर द्वारा किए गए उस दावे को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि निमिषा की सजा माफ की जा सकती है। अब्दुल फतेह ने सवाल उठाते हुए कहा, "उन्हें यह अधिकार किसने और किस आधार पर दिया?" उन्होंने जोर देकर कहा कि यमनी कानून के अनुसार मौत की सजा तभी माफ हो सकती है जब पीड़ित परिवार ब्लड मनी स्वीकार करे, लेकिन उन्होंने किसी भी तरह की सुलह से इनकार कर दिया है।
निमिषा की सजा पर भ्रम
भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी उन खबरों को गलत बताया है, जिनमें कहा गया था कि निमिषा की सजा माफ कर दी गई है। हालांकि, इस पर भारत सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। उल्लेखनीय है कि निमिषा को 16 मई को फांसी दी जानी थी, लेकिन यमन प्रशासन ने इसे फिलहाल टाल दिया। तलाल के भाई ने इस देरी पर भी नाराजगी जताते हुए कहा कि सजा में विलंब न्याय का अपमान है।
मामले का संक्षिप्त विवरण
निमिषा प्रिया, जो केरल के पलक्कड़ की निवासी हैं, साल 2008 में यमन गई थीं। वहां उन्होंने तलाल के साथ मिलकर एक क्लीनिक खोलने की योजना बनाई, लेकिन बाद में दोनों के बीच विवाद उत्पन्न हो गया। रिपोर्टों के अनुसार, तलाल ने निमिषा का पासपोर्ट जब्त कर लिया था, और उसे वापस पाने के लिए निमिषा ने उसे बेहोश करने की कोशिश की, जिससे ओवरडोज के कारण उसकी मृत्यु हो गई। यमन की अदालत ने साल 2020 में निमिषा को मौत की सजा सुनाई थी.