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यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को मौत की सजा का सामना

केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में अपने बिजनेस पार्टनर की हत्या के आरोप में मौत की सजा का सामना करना पड़ रहा है। 2017 में गिरफ्तारी के बाद, उन्हें 2020 में दोषी ठहराया गया और अब उनकी सजा 16 जुलाई 2025 को लागू होने वाली है। इस मामले में भारत सरकार सक्रियता से मदद कर रही है, जबकि केरल में राजनीतिक जागरूकता बढ़ रही है। जानें इस जटिल मामले के बारे में और क्या विकल्प मौजूद हैं।
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यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को मौत की सजा का सामना

निमिषा प्रिया का मामला

सना (यमन)/कोच्चि: केरल के पलक्कड़ जिले की निवासी नर्स निमिषा प्रिया, जिन्हें यमन में अपने बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी की हत्या के आरोप में सजा-ए-मौत का सामना करना पड़ रहा है, को 2017 में गिरफ्तार किया गया था। 2020 में उन्हें दोषी ठहराया गया और मौत की सजा सुनाई गई, जो अब 16 जुलाई 2025 को लागू होने वाली है।


निमिषा का बचपन कोल्लेंगोड़े में बीता। उन्होंने 2008 में यमन के एक सरकारी अस्पताल में नर्स के रूप में कार्यभार संभाला। 2015 में, उन्होंने तलाल के साथ मिलकर "अल-अमान मेडिकल क्लिनिक" की स्थापना की। उनके परिवार का आरोप है कि तलाल ने उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया, उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया और वित्तीय अनियमितताएं कीं।


एक दिन, जब निमिषा ने पासपोर्ट वापस मांगा, तो तलाल ने उन्हें बेहोश करने के लिए दर्द निवारक इंजेक्शन दिया। अधिक मात्रा में इंजेक्शन देने के कारण तलाल की मृत्यु हो गई। भयभीत होकर, निमिषा ने शव को टैंक में फेंक दिया। बाद में, दोनों को भागने के प्रयास में गिरफ्तार कर लिया गया।


न्यायालय ने 2020 में उन्हें सजा सुनाई और 2023 में यमन की अदालत ने उनकी अपील खारिज कर दी। हालांकि, "दीया" या "ब्लड मनी" का विकल्प अभी भी खुला है, जिसके तहत पीड़ित परिवार की सहमति से सजा को टाला जा सकता है। भारत सरकार इस मामले में सक्रिय है और विदेश मंत्रालय ने सभी संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है। 2023 में $40,000 भेजे गए थे, लेकिन वार्ता रुक गई क्योंकि मध्यस्थ वकील की फीस का भुगतान नहीं किया गया।


जनवरी 2025 में, ईरान ने भी हुती विद्रोही नेटवर्क के माध्यम से मध्यस्थता की पेशकश की। केरल में इस मामले को लेकर राजनीतिक और सामाजिक जागरूकता बढ़ी है। सीपीएम के सांसद के. राधाकृष्णन ने प्रधानमंत्री को हस्तक्षेप के लिए पत्र लिखा है। उन्होंने कहा, "यह मामला एक मानवीय संकट बन चुका है।" इसके अलावा, भारत में "सेव निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल" ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई फांसी से दो दिन पहले, 14 जुलाई 2025 को निर्धारित की गई है।