यमन में मौत की सजा का सामना कर रही केरल की नर्स के लिए SC में याचिका

निमिषा प्रिया की याचिका सर्वोच्च न्यायालय में
निमिषा प्रिया की याचिका: यमन में मौत की सजा का सामना कर रही केरल की नर्स, निमिषा प्रिया, को बचाने के लिए भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक तात्कालिक याचिका दायर की गई है। उसकी फांसी की तारीख 16 जुलाई निर्धारित है, और समय तेजी से बीत रहा है। यह याचिका 'सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल' नामक एक समूह द्वारा प्रस्तुत की गई है, जिसमें भारत सरकार से राजनयिक वार्ता के माध्यम से त्वरित हस्तक्षेप करने और पीड़िता के परिवार को ब्लड मनी प्रदान करने की अपील की गई है।
शरिया कानून के अनुसार, ब्लड मनी एक वैध विकल्प है, जिसके तहत पीड़िता का परिवार मुआवजे के बदले में आरोपी को माफ कर सकता है। वरिष्ठ अधिवक्ता रागेंथ बसंत ने यह याचिका न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची के समक्ष प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि यह मामला अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि निमिषा की फांसी की तारीख नजदीक आ रही है।
यमन की अदालत में निमिषा की अपील
यमन की अदालत का निर्णय: वकील ने बताया कि यमन की अदालत ने पहले ही निमिषा की अपील को खारिज कर दिया था, लेकिन ब्लड मनी का विकल्प अभी भी खुला है। इसका अर्थ है कि यदि पीड़ित परिवार के साथ उचित समझौता हो जाता है, तो निमिषा को फांसी से बचाया जा सकता है। अदालत ने सोमवार को मामले की सुनवाई का सुझाव दिया था, लेकिन वकील ने पहले की तारीख की मांग की, क्योंकि कूटनीतिक वार्ता में समय लगता है और इसे तुरंत शुरू करना आवश्यक है। अदालत ने अब इस मामले की सुनवाई 14 जुलाई को करने का निर्णय लिया है।
निमिषा प्रिया को 2017 में यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी। रिपोर्टों के अनुसार, उसने कथित तौर पर उसे बेहोशी का इंजेक्शन दिया ताकि वह अपना पासपोर्ट वापस ले सके, जो उसके पास था। स्थिति गंभीर हो गई और उसकी मृत्यु हो गई।