यमुनानगर में धान की खरीद का समापन: किसानों को 1657 करोड़ का भुगतान
धान की सरकारी खरीद का अंतिम दिन
यमुनानगर (Yamunanagar Paddy Procurement 2025): शनिवार को धान की सरकारी खरीद का अंतिम दिन था। इस वर्ष मंडियों में 675384.2 मीट्रिक टन (एमटी) धान की खरीद हुई, जो पिछले साल की तुलना में 66,218 मीट्रिक टन अधिक है। पिछले वर्ष मंडियों में 609166 मीट्रिक टन धान खरीदा गया था। अनाज मंडियों से 99.46 प्रतिशत धान का उठान हो चुका है। इस बार धान की खरीद प्रक्रिया विवादों से भरी रही।
शुरुआत में किसानों ने धान की खरीद में देरी को लेकर सड़कों पर प्रदर्शन किया, और बाद में इलेक्ट्रॉनिक कांटों से धान की तुलाई न होने पर जाम भी लगाया।
अंतिम दिनों में बाहरी राज्यों से धान खरीदने के आरोप लगे, जिसके चलते किसानों को बॉर्डर पर पहरा देकर वाहनों को लौटाना पड़ा। आज से मंडियों में धान की सरकारी खरीद बंद हो गई है। अंतिम दिन मंडियों में धान की मात्रा बहुत कम थी, जिससे सन्नाटा छा गया।
किसानों ने इस बार इलेक्ट्रॉनिक कांटों से धान की तुलाई का विरोध किया। उनका आरोप था कि आढ़ती पारंपरिक कांटों से धान की खरीद में धांधली करते हैं। इस मुद्दे पर किसानों ने साढौरा में अनाज मंडी के सामने जाम लगाया।
अधिकारियों के आश्वासन के बाद किसानों ने राजी होकर मंडियों में मार्केट कमेटी कार्यालयों में इलेक्ट्रॉनिक कांटे रखवाने की अनुमति दी। किसानों ने तुलाई करके संतोष व्यक्त किया। इसके अलावा, धान का उठान प्रारंभिक दिनों में धीमा रहा, जिससे मंडियों में भीड़ बढ़ गई।
एक हजार से अधिक वाहनों को लौटाया गया
अन्य राज्यों के लौटाए एक हजार से ज्यादा वाहन
इस बार खरीद एजेंसियों ने सभी 13 अनाज मंडियों में छह लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा था। अधिकारियों ने बताया कि इस वर्ष मानसून में भारी बारिश और बाढ़ के कारण धान की फसल को काफी नुकसान हुआ है, जिससे प्रति एकड़ उत्पादन में 20 प्रतिशत तक कमी आई है।
हालांकि, इसके बावजूद मंडियों में धान की बंपर खरीद हुई। किसानों ने आरोप लगाया कि मंडियों में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश और अन्य राज्यों का धान खरीदा गया।
भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के सदस्यों ने यमुनानगर-उत्तर प्रदेश सीमा पर रातभर पहरा देकर बाहरी राज्यों से आ रहे 1000 से अधिक वाहनों को वापस भेजा। राइस मिलरों पर भी बाहर से चावल खरीदने के आरोप लगे।
मंडियों में धान की खरीद का विवरण
मंडियों में हुई धान की खरीद
इस बार मंडियों में जो धान खरीदा गया है, उसमें खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा 312342 मीट्रिक टन, हैफेड द्वारा 236528 मीट्रिक टन, और हरियाणा भंडारण निगम द्वारा 126515 मीट्रिक टन धान शामिल है।
व्यासपुर अनाज मंडी में 66662 मीट्रिक टन, छछरौली में 83361 मीट्रिक टन, गुमथला राव में 9377 मीट्रिक टन, जगाधरी में 91020 मीट्रिक टन, जठलाना में 3540 मीट्रिक टन, खारवन में 5709 मीट्रिक टन, प्रतापनगर में 126049 मीट्रिक टन, और सरस्वतीनगर में 120530 मीट्रिक टन धान खरीदा गया है।
इसके अलावा, रादौर में 65234 मीट्रिक टन, रणजीतपुर में 52170 मीट्रिक टन, रसूलपुर में 14471 मीट्रिक टन, साढौरा में 36761 मीट्रिक टन, और यमुनानगर में 501 मीट्रिक टन धान की खरीद हुई है।
डीएफएससी यमुनानगर, जतिन मित्तल ने बताया कि आज धान खरीद का अंतिम दिन था। पहले ही अधिकांश धान मंडियों में बिक चुका था, लेकिन यदि किसी के पास बचा था, तो उन्हें बिक्री के लिए सूचना दी गई थी। अब किसी का धान नहीं खरीदा जाएगा।
किसानों को भुगतान की जानकारी
किसानों को 1657.44 करोड़ का भुगतान
अनाज मंडियों में धान बेचने वाले किसानों के लिए कुल 118703 गेट पास जारी किए गए। जो धान मंडियों से उठ चुका है, उसके लिए किसानों को अब तक 1657.44 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। इसमें हरियाणा वेयरहाउस कॉर्पोरेशन ने 310.50 करोड़, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने 764.74 करोड़, और हैफेड ने 582.20 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।
