यूक्रेन को अमेरिका की नई सैन्य सहायता: क्या रूस को होगा बड़ा नुकसान?

रूस-यूक्रेन युद्ध में अमेरिका का नया रुख
Russia-Ukraine War: अमेरिका ने रूस-यूक्रेन संघर्ष के प्रति अपने दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण बदलाव किया है। पहले अमेरिका शांति की बात करता था और संघर्ष को समाप्त करने का प्रयास करता था, लेकिन अब उसने यूक्रेन को रूस के खिलाफ हर संभव सहायता देने का निर्णय लिया है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिकी प्रशासन ने कीव को रूस के ऊर्जा ढांचे पर मिसाइल हमलों के लिए आवश्यक खुफिया जानकारी प्रदान करने की अनुमति दे दी है.
अमेरिका की खुफिया सहायता और हथियारों की योजना
यह कदम इस बात का संकेत है कि अमेरिका अब युद्ध में सीधे शामिल होने और रूस की आर्थिक क्षमताओं को प्रभावित करने के लिए सक्रिय हो गया है। खुफिया जानकारी साझा करने के इस समझौते से पेंटागन और अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को यूक्रेन को रूस की तेल शोधन इकाइयों, पाइपलाइनों और अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर निशाना साधने में मदद करने का अधिकार मिल जाता है.
अमेरिका की खुफिया सहायता और हथियारों की योजना
सूत्रों के अनुसार, अमेरिकी अधिकारी नाटो सहयोगी देशों से भी अनुरोध कर रहे हैं कि वे कीव को इसी प्रकार की सहायता प्रदान करें। इसके अलावा, अमेरिका यूक्रेन को टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें और बाराकुडा जैसे हथियार उपलब्ध कराने पर विचार कर रहा है, हालांकि अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है.
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने पिछले सप्ताह ट्रंप से टॉमहॉक मिसाइलें देने की अपील की थी। न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने इस मांग के प्रति सकारात्मक रुख अपनाने का संकेत दिया और पहली बार भरोसा जताया कि यूक्रेनी सेना पूरे देश को उसके मूल स्वरूप में वापस हासिल कर सकती है.
रूस का कड़ा रुख और चेतावनी
संयुक्त राष्ट्र में रूस के स्थायी दूत वसीली नेबेंज्या ने चेतावनी दी कि यदि अमेरिका टॉमहॉक मिसाइलें यूक्रेन को देता है, तो मॉस्को इसका "उचित जवाब" देगा। वहीं, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि संभावित अमेरिकी टॉमहॉक तैनाती सैन्य परिदृश्य को प्रभावित नहीं करेगी। ध्यान देने योग्य है कि टॉमहॉक मिसाइलों की रेंज 1500 मील तक है, जिससे मॉस्को भी आसानी से यूक्रेन के दायरे में आ सकता है। पिछले हफ्ते ट्रंप ने रूस को 'कागजी शेर' करार दिया था। अमेरिकी खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, यूक्रेन पर आक्रमण के परिणामस्वरूप क्रेमलिन आर्थिक संकट और युद्धक्षेत्र में पराजय की ओर बढ़ रहा है.
विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिका का यह कदम रूस की आर्थिक क्षमता को कमजोर करना, यूक्रेन को सामरिक बढ़त देना और युद्ध के परिणाम को अपनी पक्ष में मोड़ना है। पेंटागन और अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के सहयोग से यह प्रयास युद्ध के आर्थिक और रणनीतिक परिदृश्य को प्रभावित कर सकता है.