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यूक्रेन में सरकार विरोधी प्रदर्शन: भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठी

यूक्रेन में 22 जुलाई को हुए पहले सरकार विरोधी प्रदर्शन ने भ्रष्टाचार के खिलाफ नागरिकों की आवाज को उजागर किया। हजारों प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति जेलेंस्की से एक नए कानून को रद्द करने की मांग की, जिसे भ्रष्टाचार-विरोधी संस्थाओं की स्वतंत्रता को कमजोर करने वाला माना जा रहा है। इस कानून के पारित होने से लोगों में गुस्सा है, क्योंकि यह यूक्रेन के लिए यूरोपीय संघ में शामिल होने और पश्चिमी सहायता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। जानें इस प्रदर्शन के पीछे की पूरी कहानी।
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यूक्रेन में सरकार विरोधी प्रदर्शन: भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठी

यूक्रेन में पहला सरकार विरोधी प्रदर्शन


यूक्रेन में सरकार विरोधी प्रदर्शन: रूस के आक्रमण के बाद से यूक्रेन में पहला बड़ा सरकार विरोधी प्रदर्शन 22 जुलाई को आयोजित किया गया। हजारों की संख्या में नागरिक सड़कों पर उतरे और भ्रष्टाचार-विरोधी एजेंसियों की स्वतंत्रता को छीनने के प्रयासों के खिलाफ अपना विरोध व्यक्त किया। प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से एक नए कानून को रद्द करने की मांग कर रहे थे, जिसे भ्रष्टाचार विरोधी संस्थाओं को कमजोर करने वाला माना जा रहा है। पिछले एक दशक से, यूक्रेनवासी रूस के आक्रमण और घरेलू राजनीतिक भ्रष्टाचार के खिलाफ दो मोर्चों पर संघर्ष कर रहे हैं। यह प्रदर्शन रूस के साथ चल रही तीन साल की जंग के बीच सरकार के खिलाफ पहला बड़ा विरोध था।


हाल ही में, यूक्रेन की संसद ने एक कानून पारित किया है, जिसके तहत दो प्रमुख भ्रष्टाचार-विरोधी संस्थाओं, नेशनल एंटी-करप्शन ब्यूरो ऑफ यूक्रेन (NABU) और स्पेशलाइज्ड एंटी-करप्शन प्रॉसिक्यूटर्स ऑफिस (SAPO) पर निगरानी बढ़ाई जाएगी।


आलोचकों का कहना है कि यह कानून इन संस्थाओं की स्वतंत्रता को समाप्त कर देगा और राष्ट्रपति जेलेंस्की के करीबी सहयोगियों को जांच पर अधिक नियंत्रण प्रदान करेगा। मंगलवार की रात संसद की वेबसाइट के अनुसार, जेलेंस्की ने इस कानून पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।


यूक्रेन के लिए भ्रष्टाचार से लड़ना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह यूरोपीय संघ में शामिल होने और पश्चिमी देशों से मिलने वाली अरबों डॉलर की सहायता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। इस कानून के पारित होने से यूक्रेन में लोगों में गुस्सा बढ़ गया है। कई नागरिकों का मानना है कि रूस के ड्रोन और मिसाइल हमलों से अधिक यह कानून नैतिक रूप से बड़ा आघात है।