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यूपी की ब्यूरोक्रेसी में बड़े बदलाव की तैयारी, प्रमुख सचिवों की विदाई तय

यूपी की ब्यूरोक्रेसी में बड़े बदलाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिसमें कई प्रमुख सचिवों की विदाई तय मानी जा रही है। एसपी गोयल के मुख्य सचिव बनने के बाद, विभिन्न विभागों में टकराव की स्थिति को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। स्वास्थ्य, शिक्षा, और नगर विकास जैसे महत्वपूर्ण विभागों में लंबे समय से जमे प्रमुख सचिवों को बदला जाएगा। योजनाएं केवल कागजों पर चल रही हैं, जिससे सरकार की छवि को नुकसान पहुंचा है। अब देखना यह है कि ये बदलाव कितनी जल्दी धरातल पर उतरते हैं।
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यूपी की ब्यूरोक्रेसी में बड़े बदलाव की तैयारी, प्रमुख सचिवों की विदाई तय

ब्यूरोक्रेसी में बदलाव की आहट


लखनऊ। एसपी गोयल के यूपी के मुख्य सचिव बनने के बाद, कई विभागों के प्रमुख सचिवों की विदाई की प्रक्रिया शुरू होने वाली है। यह बदलाव जल्द ही देखने को मिलेगा। पिछले कुछ समय से यूपी में विभिन्न विभागों के मंत्रियों और प्रमुख सचिवों के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई थी, जिसे ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। कई प्रमुख मंत्रियों ने इस मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रखी है। इसके अलावा, संजय प्रसाद के पास प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री, गृह, सूचना, उड्डयन और राज संपत्ति विभाग की जिम्मेदारी है, जिससे प्रशासनिक कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी अधिकारी शशि प्रकाश गोयल (एसपी गोयल) के मुख्य सचिव बनने के बाद से प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में बड़े बदलाव की संभावना बढ़ गई है। लंबे समय से इस बदलाव का इंतजार किया जा रहा था और अब यह प्रक्रिया शुरू होने जा रही है।


सूत्रों के अनुसार, स्वास्थ्य, नगर विकास, जल जीवन मिशन, शिक्षा, पर्यटन, यूपीडा, ऊर्जा, पीडीब्ल्यूडी जैसे विभागों में लंबे समय से जमे प्रमुख सचिवों की विदाई तय मानी जा रही है। इन विभागों में कई शिकायतें आई हैं, जिससे सरकार की छवि को नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा, मंत्री और प्रमुख सचिवों के बीच टकराव के कारण कई विभागों में ट्रांसफर भी नहीं हो सके। अब प्रमुख सचिवों के बदले जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।


योजनाओं का धरातल पर न उतरना


यूपी में कई महत्वपूर्ण विभागों की योजनाएं केवल कागजों पर ही चलती रहीं। प्रमुख सचिव इन योजनाओं को कागजों में ही सीमित रखते रहे और मुख्यमंत्री तथा मंत्रियों को गुमराह करते रहे। इस पर भी कई शिकायतें आई हैं। हालांकि, ब्यूरोक्रेट्स खुद को बचाने में सफल रहे हैं, लेकिन अब उनकी विदाई निश्चित है।