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योगी आदित्यनाथ का कांग्रेस पर हमला: मालेगांव बम विस्फोट मामले में बरी हुए आरोपियों को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में बरी हुए आरोपियों के फैसले पर कांग्रेस की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इसे कांग्रेस के भारत विरोधी और न्याय विरोधी स्वभाव का प्रमाण बताया। योगी ने कांग्रेस से अपने कुकर्मों के लिए माफी मांगने की सलाह दी। इस फैसले पर एआईएमआईएम के नेता ने भी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें न्यायपालिका की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए गए हैं। जानें इस मामले की पूरी कहानी और इसके राजनीतिक प्रभाव।
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योगी आदित्यनाथ का कांग्रेस पर हमला: मालेगांव बम विस्फोट मामले में बरी हुए आरोपियों को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया

कांग्रेस की आलोचना

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में सात आरोपियों को बरी करने के फैसले पर कांग्रेस पार्टी की तीखी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय कांग्रेस के "भारत विरोधी, न्याय विरोधी और सनातन विरोधी" स्वभाव को उजागर करता है।


कांग्रेस का असली चेहरा

योगी आदित्यनाथ ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा कि मालेगांव विस्फोट मामले में सभी आरोपियों का बरी होना 'सत्यमेव जयते' के सिद्धांत का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय एक बार फिर साबित करता है कि कांग्रेस का चरित्र भारत-विरोधी है, जिसने 'भगवा आतंकवाद' जैसे झूठे आरोपों के जरिए सनातन धर्म के अनुयायियों की छवि को धूमिल किया है।




एनआईए अदालत का निर्णय

गुरुवार को विशेष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की अदालत ने मालेगांव विस्फोट मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया। इस मामले में पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित कुल सात आरोपियों को प्रत्यक्ष साक्ष्य की कमी और जांच में प्रक्रियात्मक त्रुटियों के कारण बरी किया गया। इस फैसले ने लंबे समय से चल रहे विवाद को फिर से ताजा कर दिया है।


कांग्रेस को माफी की सलाह

योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस से अपील की कि वह अपने "अक्षम्य कुकर्मों" को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करे और देशवासियों से माफी मांगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने देश की अस्मिता और न्याय व्यवस्था को कमजोर किया है, जिसे अब छिपाया नहीं जा सकता।


एआईएमआईएम नेता की प्रतिक्रिया

इस फैसले पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) के नेता इम्तियाज जलील ने महाराष्ट्र सरकार से अनुरोध किया है कि वह इस निर्णय को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दे। उनका मानना है कि इस फैसले से न्यायपालिका की विश्वसनीयता पर सवाल उठ सकता है और देश में कानून के शासन को कमजोर किया जा सकता है।


मालेगांव विस्फोट की पृष्ठभूमि

2008 में मालेगांव में हुए इस बम विस्फोट ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। यह घटना उस समय के महाराष्ट्र के राजनीतिक और सामाजिक माहौल पर गहरा प्रभाव डालने वाली रही। इसके बाद आरोपियों के खिलाफ जांच और मुकदमे ने वर्षों तक राजनीतिक और धार्मिक संगठनों के बीच विवादों को जन्म दिया।