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योगी आदित्यनाथ पर आधारित फिल्म को लेकर विवाद गहराया

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर आधारित फिल्म 'अजयः द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ अ योगी' की रिलीज को लेकर विवाद गहरा गया है। फिल्म के निर्माता ने CBFC पर जानबूझकर सर्टिफिकेशन में देरी करने का आरोप लगाया है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए जज को फिल्म देखने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी। फिल्म लेखक शांतनु गुप्ता की किताब पर आधारित है, जिसका उद्देश्य युवाओं को प्रेरित करना है।
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योगी आदित्यनाथ पर आधारित फिल्म को लेकर विवाद गहराया

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की फिल्म विवाद

CM Yogi Adityanath Film Controversy: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन पर आधारित फिल्म 'अजयः द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ अ योगी' की रिलीज को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। इस फिल्म के निर्माता सम्राट सिनेमेटिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। उनका आरोप है कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) जानबूझकर फिल्म के सर्टिफिकेशन में देरी कर रहा है।


कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि किसी भी आदेश को जारी करने से पहले जज खुद फिल्म देखेंगे। इस मामले की अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी।


फिल्म किस किताब पर आधारित है?

किस किताब पर आधारित है फिल्म?


यह फिल्म सम्राट सिनेमेटिक्स द्वारा निर्मित है और लेखक शांतनु गुप्ता की किताब 'द मॉन्क हू बिकेम चीफ मिनिस्टर' पर आधारित है। निर्माता का कहना है कि इस फिल्म का उद्देश्य केवल एक राजनेता के जीवन को प्रदर्शित करना नहीं है, बल्कि युवाओं को एकता और अखंडता के लिए प्रेरित करना भी है। इसके अलावा, सीएम योगी आदित्यनाथ के कार्यालय ने भी फिल्म पर कोई आपत्ति नहीं उठाई है।


निर्माताओं के आरोप

प्रोड्यूसर के सीबीएफसी पर आरोप


निर्माताओं का कहना है कि उन्होंने इस साल 5 जून को सीबीएफसी को सर्टिफिकेशन के लिए आवेदन दिया था। नियमों के अनुसार, आवेदन की स्क्रूटनी सात दिनों में होनी चाहिए थी और 15 दिनों में फिल्म की स्क्रीनिंग तय होनी चाहिए थी। लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी बोर्ड की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इसके चलते याचिकाकर्ता ने 'प्रायॉरिटी स्कीम' के तहत दोबारा आवेदन किया है। 7 जुलाई को स्क्रीनिंग की तारीख तय हुई, लेकिन बाद में इसे रद्द कर दिया गया है।


निर्माता का आरोप है कि सेंसर बोर्ड ने फिल्म के टीजर, ट्रेलर और प्रमोशनल सॉन्ग की रिलीज में भी जानबूझकर देरी की है। जब कोई जवाब नहीं मिला तो उन्हें अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा। याचिका में कहा गया कि सेंसर बोर्ड का यह रवैया मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।