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योगी सरकार के प्राथमिक विद्यालयों की स्थिति पर उठे सवाल

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के प्राथमिक विद्यालयों की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं। निवर्तमान प्रदेश महासचिव दिनेश सिंह पटेल ने बेहसा गांव के एक विद्यालय का दौरा करते हुए बताया कि कई स्कूल अब जंगलों में तब्दील हो चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार का उद्देश्य पिछड़े और दलित समाज के बच्चों को शिक्षा से वंचित रखना है। पटेल ने RTE और आर्टिकल 21A के तहत बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया। इस स्थिति पर आम आदमी पार्टी ने विरोध जताया है और सरकार से मर्जर नीति को वापस लेने की मांग की है।
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योगी सरकार के प्राथमिक विद्यालयों की स्थिति पर उठे सवाल

बच्चों की शिक्षा पर संकट

लखनऊ। योगी सरकार का उद्देश्य प्राथमिक विद्यालयों के माध्यम से बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है, लेकिन अब ये विद्यालय जंगलों में तब्दील हो चुके हैं। यह बात निवर्तमान प्रदेश महासचिव दिनेश सिंह पटेल ने लखनऊ के सरोजनी नगर विधानसभा क्षेत्र के बेहसा गांव में एक प्राथमिक विद्यालय का दौरा करते हुए कही।

पटेल ने बताया कि उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों की स्थिति इतनी खराब है कि कई प्राथमिक विद्यालयों की छतें तक गायब हैं। उन्होंने बेहसा गांव के विद्यालय की स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि पेड़ और झाड़ियाँ अब दीवारों का काम कर रही हैं, और स्कूल का शौचालय भी जानवरों के बैठने लायक नहीं रह गया है।

उन्होंने आगे कहा कि लगभग दो साल पहले इस विद्यालय की इमारत को जर्जर मानकर गिरा दिया गया था, लेकिन भाजपा सरकार ने इसे फिर से बनाने की कोई योजना नहीं बनाई। उनका आरोप है कि सरकार का उद्देश्य पिछड़े और दलित समाज के बच्चों को शिक्षा से वंचित रखना है।

पटेल ने कहा कि हाल ही में लखनऊ के एक प्राथमिक विद्यालय का विलय 2 से 3 किलोमीटर दूर के विद्यालय में कर दिया गया, जिससे बच्चों की सुरक्षा पर भी खतरा बढ़ गया है। एक बच्चे का हाथ इस दौरान टूट गया, लेकिन सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है।

उन्होंने यह भी बताया कि RTE और आर्टिकल 21A के अनुसार, 6 से 14 साल के सभी बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है। लेकिन सरकार स्कूलों का विलय कर रही है, जो संविधान का उल्लंघन है।

पटेल ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की यह नीति बच्चों को शिक्षा से दूर रखने की है, और आम आदमी पार्टी इसका विरोध करती है। उन्होंने सरकार से मांग की कि इस मर्जर नीति को तुरंत वापस लिया जाए और हर गांव में 1 किलोमीटर के दायरे में स्कूलों की गारंटी दी जाए।