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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 1965 के युद्ध के नायकों को दी श्रद्धांजलि

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के नायकों के साथ बातचीत में देश के पड़ोसियों के साथ संबंधों पर चर्चा की। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत ने अपनी किस्मत खुद बनाई है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आतंकवाद के खिलाफ संकल्प का भी उल्लेख किया। इस बातचीत में शास्त्री जी के नेतृत्व और 'जय जवान, जय किसान' के नारे का महत्व भी बताया गया।
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 1965 के युद्ध के नायकों को दी श्रद्धांजलि

भारत-पाकिस्तान युद्ध के नायकों के साथ बातचीत

नई दिल्ली : 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के वीरों से संवाद करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों में भाग्यशाली नहीं रहा है, लेकिन हमने इसे अपनी नियति नहीं माना। हमने अपनी किस्मत खुद बनाई है। इसका एक उदाहरण ऑपरेशन सिंदूर है। हम पहलगाम की दुखद घटनाओं को नहीं भूल सकते, और जब भी हम उन्हें याद करते हैं, हमारा दिल भारी हो जाता है और मन में क्रोध भर जाता है।


राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि वहां जो कुछ हुआ, उसने हम सभी को झकझोर दिया, लेकिन उस घटना ने हमारे मनोबल को नहीं तोड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवादियों को ऐसा सबक सिखाने का संकल्प लिया, जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की होगी। हमने ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की, जिससे हमारे दुश्मनों को यह समझ में आया कि हमारा प्रतिरोध कितना मजबूत और शक्तिशाली है। हमारी टीम द्वारा प्रदर्शित समन्वय और करिश्मे ने साबित कर दिया कि जीत अब कोई अपवाद नहीं है, बल्कि एक आदत बन गई है, और हमें इसे बनाए रखना चाहिए।


केंद्रीय रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि युद्ध केवल युद्ध के मैदान में नहीं लड़ा जाता, बल्कि युद्ध में मिली विजय पूरे देश के सामूहिक संकल्प का परिणाम होती है। 1965 में, जब चारों ओर अनिश्चितता और चुनौतियां थीं, लाल बहादुर शास्त्री के दृढ़ नेतृत्व में देश ने उन चुनौतियों का सामना किया। शास्त्री जी ने उस समय न केवल निर्णायक राजनीतिक नेतृत्व प्रदान किया, बल्कि पूरे देश का मनोबल भी ऊंचा किया। उन्होंने एक नारा दिया जो आज भी हमारे दिलों में गूंजता है, 'जय जवान, जय किसान।' इस नारे में हमारे वीर सैनिकों के सम्मान के साथ-साथ हमारे अन्नदाताओं का गौरव भी समाहित है।