राज कुंद्रा पर 60 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला, शिल्पा शेट्टी भी शामिल
बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा पर 60.48 करोड़ रुपये के निवेश धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। आर्थिक अपराध शाखा ने उन्हें पूछताछ के लिए तलब किया है। इस मामले में शिल्पा शेट्टी की भी भूमिका है, जिसके चलते लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया है। जानें इस विवाद की पूरी कहानी और क्या है दोनों के वकीलों का कहना।
Sep 9, 2025, 11:39 IST
| 
राज कुंद्रा की मुश्किलें बढ़ीं
बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा के लिए समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। आर्थिक अपराध शाखा ने मंगलवार को उन्हें 60.48 करोड़ रुपये के निवेश धोखाधड़ी मामले में तलब किया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, कुंद्रा को 15 सितंबर को पूछताछ के लिए उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है। 5 सितंबर को, मुंबई पुलिस ने शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) जारी किया था, क्योंकि यह जोड़ा अक्सर विदेश यात्रा करता है। लुकआउट सर्कुलर का उपयोग किसी व्यक्ति को देश छोड़ने से रोकने या उनकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए किया जाता है, जो आमतौर पर आव्रजन और सीमा नियंत्रण चौकियों को सूचित करता है।
धोखाधड़ी का नया संकट
राज कुंद्रा पर 60 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का नया संकट
ईओडब्ल्यू ने राज कुंद्रा के खिलाफ समन जारी किया है, जिससे वह देश छोड़ने में असमर्थ हैं। ईओडब्ल्यू के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की है कि राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) के ऑडिटर को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया है।
शिल्पा और राज कुंद्रा पर आरोप
शिल्पा-राज कुंद्रा पर 60 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप
कुंद्रा के खिलाफ मुंबई के जुहू पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की गई है। लोटस कैपिटल फाइनेंशियल सर्विसेज के निदेशक का कहना है कि उन्होंने 2015 से 2023 के बीच शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा की कंपनी बेस्ट डील टीवी प्राइवेट लिमिटेड में 60.48 करोड़ रुपये का निवेश किया। उनका आरोप है कि शिल्पा और राज ने इस राशि को कंपनी में निवेश करने के बजाय व्यक्तिगत रूप से खर्च किया।
शिल्पा के वकील का पक्ष
शिल्पा के वकील का तर्क
शिकायतकर्ता दीपक कोठारी के वकील जैन श्रॉफ ने कहा कि उनके मुवक्किल ने सबूतों के साथ पैसा निवेश किया था। वहीं, शिल्पा शेट्टी के वकील प्रशांत पाटिल ने आरोपों को खारिज किया है। उनका कहना है कि शिकायतकर्ता खुद कंपनी में पार्टनर थे और उनके बेटे को डायरेक्टर बनाया गया था। यदि कंपनी को लाभ होता, तो उसे दोनों के बीच बांटा जाता।