राजस्थान में गुर्जर आरक्षण को लेकर सरकार की नई पहल

गुर्जर समुदाय की महा पंचायत के बाद सरकार का कदम
राजस्थान में गुर्जर समुदाय की महा पंचायत के परिणामस्वरूप, राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए मंत्रियों की एक उप-समिति का गठन किया है। यह समिति गुर्जर आरक्षण आंदोलन के दौरान किए गए वादों को पूरा करने और 5% एमबीसी आरक्षण को केंद्र की 9वीं अनुसूची में शामिल कराने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर कार्य करेगी। इस उप-समिति में मंत्री जवाहर सिंह बेढम, मंत्री जोगाराम पटेल और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत शामिल हैं। पिछले महीने भरतपुर के पीलूपुरा में हुई महा पंचायत के बाद सरकार पर बढ़ते दबाव के जवाब में यह समिति बनाई गई है, जो गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों के साथ संवाद कर समाधान की दिशा में काम करेगी.
सरकार के वादे
- 5% MBC आरक्षण को 9वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए कैबिनेट प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाएगा।
- आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों का निपटारा 2023 की सहमति के अनुसार किया जाएगा।
- लंबित भर्तियों में रोस्टर प्रणाली से जुड़ी समस्याओं का समाधान 60 दिनों के भीतर किया जाएगा।
- शहीद रूप नारायण गुर्जर के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति दी जाएगी।
- देवनारायण योजना सहित अन्य योजनाओं की मासिक समीक्षा की जाएगी।
समाज कल्याण मंत्री का बयान
अब जबकि सरकार ने मंत्रियों की उप-समिति का गठन कर दिया है, समाज कल्याण मंत्री अविनाश गहलोत ने कहा है कि यह समिति गुर्जरों से किए गए वादों को पूरा करने के उद्देश्य से बनाई गई है। उन्होंने बताया कि आज उनकी पहली बैठक हो रही है और अगली बैठक में गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया जाएगा।
अन्य जातियों की असंतोष
हालांकि गुर्जर समुदाय सरकार की पहल से संतुष्ट नजर आ रहा है, लेकिन एमबीसी में शामिल अन्य जातियों जैसे कालबेलिया, देवासी, रेबारी, नट और राईका का गुस्सा फूट पड़ा है। इन जातियों का कहना है कि उन्हें गुर्जरों की तरह आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है। इन समुदायों ने DNT (घुमंतु जाति) संघर्ष समिति के बैनर तले जयपुर में जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि इन जातियों से कोई भी व्यक्ति अब तक आईपीएस या आईएएस जैसे उच्च पदों तक नहीं पहुंच पाया है।
DNT समुदाय की मांगें
DNT संघर्ष समिति के अध्यक्ष लाल जी राईका ने कहा कि उनकी 10 सूत्री मांगें हैं और सरकार को चाहिए कि उनके प्रतिनिधियों से बात करे। उन्होंने बताया कि उन्होंने पाली और जोधपुर में आंदोलन किया, लेकिन सरकार ने ध्यान नहीं दिया। अब वे इसे घर-घर और गांव-गांव ले जाने का निर्णय ले चुके हैं।
सरकार की चुनौती
गुर्जर समुदाय के लिए बनाई गई उप-समिति एक महत्वपूर्ण पहल है, लेकिन एमबीसी के अंतर्गत आने वाली अन्य जातियों के असंतोष को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि सरकार गुर्जरों को केंद्र की 9वीं अनुसूची में आरक्षण दिलाने के अपने वादे को कैसे और कब तक पूरा करती है। साथ ही, MBC की अन्य जातियों की नाराजगी को कैसे संभालती है, यही आने वाले समय में सामाजिक संतुलन की असली कसौटी होगी।