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राजस्थान में धर्मांतरण कानून 2025: क्या है इसके प्रभाव और विवाद?

राजस्थान में धर्मांतरण कानून 2025 को विधानसभा में ध्वनि मत से पारित किया गया है। इस कानून के तहत जबरन धर्म परिवर्तन पर आजीवन कारावास और भारी जुर्माना लगाया जा सकेगा। 'घर वापसी' को धर्मांतरण नहीं माना जाएगा, और सामूहिक धर्मांतरण पर सख्त प्रावधान हैं। हालांकि, कई सामाजिक संगठन और विपक्षी दल इस कानून को संविधान के धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन मानते हैं और इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की योजना बना रहे हैं। जानें इस कानून के प्रभाव और राजनीतिक प्रतिक्रियाओं के बारे में।
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राजस्थान में धर्मांतरण कानून 2025: क्या है इसके प्रभाव और विवाद?

धर्मांतरण कानून का पारित होना

राजस्थान में धर्मांतरण कानून 2025: लंबे समय से चल रहे विवाद और राजनीतिक चर्चाओं के बाद, राजस्थान में धर्मांतरण बिल को अब कानून का रूप दे दिया गया है। इसे विधानसभा में ध्वनि मत से पारित किया गया और गवर्नर हरिभाऊ बागडे ने इसे मंजूरी दी। इसके साथ ही, इसका गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है, जिससे यह कानून राज्य में लागू हो गया है।


कानून का नाम और सजा

कानून का नाम

इस नए कानून को 'राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म समपरिवर्तन अधिनियम, 2025' के नाम से जाना जाएगा। इसके तहत, जबरन, लालच या धोखे से धर्म परिवर्तन कराने पर आजीवन कारावास और 50 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा। इसके अलावा, धर्म परिवर्तन से जुड़े सभी अपराध गैर-जमानती होंगे, जिससे आरोपी को जमानत मिलना मुश्किल होगा। इन मामलों की सुनवाई सेशन कोर्ट में होगी, ताकि त्वरित और सख्त कार्रवाई की जा सके।


'घर वापसी' को धर्मांतरण नहीं माना जाएगा

‘घर वापसी’ धर्मांतरण नहीं मानी जाएगी

कानून में यह स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति अपने मूल धर्म में लौटता है, तो इसे धर्मांतरण नहीं माना जाएगा। इसका अर्थ है कि किसी व्यक्ति का अन्य धर्म में परिवर्तन करने के बाद मूल धर्म में वापसी को अपराध नहीं माना जाएगा।


सामूहिक धर्मांतरण पर सख्त प्रावधान

सामूहिक धर्मांतरण पर सख्त प्रावधान

नए कानून में सामूहिक धर्मांतरण के लिए भी कड़े प्रावधान हैं। यदि किसी स्थान पर सामूहिक धर्म परिवर्तन किया गया पाया जाता है, तो उस स्थान को बुलडोजर से गिराने का प्रावधान है। यह प्रावधान देश के अन्य राज्यों के कानूनों में नहीं है, जिससे राजस्थान का कानून सबसे सख्त माना जा रहा है।


तीसरी बार कानून बनने की प्रक्रिया

तीसरी बार कानून बनने में सफलता

राजस्थान में धर्मांतरण कानून बनाने की यह तीसरी कोशिश है। इससे पहले 2005 और 2008 में भी बिल विधानसभा से पास हुआ था, लेकिन दोनों बार गवर्नर की मंजूरी नहीं मिली, इसलिए कानून नहीं बन पाया। अब 2025 में यह बिल अंततः कानून बन गया है।


सुप्रीम कोर्ट में चुनौती की तैयारी

सुप्रीम कोर्ट में चुनौती की तैयारी

कई सामाजिक संगठन और विपक्षी दल इस कानून पर आपत्ति जता रहे हैं। उनका कहना है कि यह कानून संविधान में दिए गए धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है। कुछ संगठन इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की योजना बना रहे हैं। उल्लेखनीय है कि देश के 12 अन्य राज्यों में पहले से ही धर्मांतरण कानून लागू हैं और उनके मामले सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं।


सत्तापक्ष और विपक्ष की प्रतिक्रिया

सत्तापक्ष और विपक्ष की प्रतिक्रिया

भाजपा नेताओं ने गवर्नर के निर्णय का स्वागत किया और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का आभार व्यक्त किया। उनका कहना है कि इससे राज्य में जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाओं पर रोक लगेगी। वहीं, कांग्रेस और भारत आदिवासी पार्टी समेत अन्य विपक्षी दलों ने सरकार के इस कदम पर सवाल उठाए और कहा कि यह कानून समाज में ध्रुवीकरण बढ़ा सकता है।


कानून का प्रभाव

राजस्थान में धर्मांतरण कानून अब लागू हो गया है, लेकिन इसके प्रभाव और कानूनी विवाद आने वाले समय में स्पष्ट होंगे। यह कानून न केवल धार्मिक परिवर्तन को नियंत्रित करने का प्रयास करता है, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक बहस का भी केंद्र बन गया है।