Newzfatafatlogo

राजस्थान में धर्मांतरण कानून लागू, सख्त सजा का प्रावधान

राजस्थान में धर्मांतरण को लेकर नया कानून लागू हो गया है, जिसमें जबरन धर्म परिवर्तन पर सख्त सजा और जुर्माने का प्रावधान है। इस कानून के तहत आजीवन कारावास और 50 लाख रुपये तक का जुर्माना तय किया गया है। सामूहिक धर्मांतरण के मामलों में भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, कई सामाजिक संगठन और विपक्षी दल इसे धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन मानते हैं और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं। जानें इस कानून के सभी महत्वपूर्ण पहलू और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं।
 | 
राजस्थान में धर्मांतरण कानून लागू, सख्त सजा का प्रावधान

धर्मांतरण कानून का नया अध्याय

धर्मांतरण कानून: राजस्थान में लंबे समय से चल रही राजनीतिक चर्चाओं और सामाजिक विमर्श के बाद अब धर्मांतरण से संबंधित नया कानून लागू हो गया है। विधानसभा में ध्वनि मत से पारित राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म समपरिवर्तन अधिनियम, 2025 को गवर्नर हरिभाऊ बागडे ने मंजूरी दे दी है, और इसका गजट नोटिफिकेशन भी जारी किया गया है। अब राज्य में जबरन, लालच या धोखे से धर्म परिवर्तन कराने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी.


कानून के तहत सजा और जुर्माना

इस कानून के अंतर्गत धर्म परिवर्तन से जुड़े अपराधों के लिए आजीवन कारावास और 50 लाख रुपये तक का जुर्माना निर्धारित किया गया है। इसके अतिरिक्त, ये अपराध गैर-जमानती होंगे और इन मामलों की सुनवाई सीधे सेशन कोर्ट में की जाएगी। इस कदम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि धर्म परिवर्तन में किसी भी प्रकार की अनैतिक या जबरन गतिविधियों को रोकने के लिए कड़े प्रावधान लागू हों.


धर्मांतरण और 'घर वापसी'

कानून में यह स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति अपने मूल धर्म में लौटता है, तो उसे धर्मांतरण के तहत अपराध नहीं माना जाएगा। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति पहले सनातन धर्म में था और बाद में किसी अन्य धर्म में गया, फिर अपने मूल धर्म में लौट आया, तो यह अपराध नहीं होगा। इस प्रावधान का उद्देश्य व्यक्तिगत धार्मिक स्वतंत्रता को बनाए रखना है.


सामूहिक धर्मांतरण पर सख्त कार्रवाई

राजस्थान का नया कानून सामूहिक धर्मांतरण के मामलों में भी बेहद सख्त है। यदि किसी इमारत या स्थान पर सामूहिक धर्म परिवर्तन कराया गया पाया जाता है, तो उस जगह को बुलडोजर से गिराने का प्रावधान है। इसे देश में अभी तक किसी अन्य राज्य के कानून में नहीं देखा गया है.


कानून बनाने का इतिहास

यह कानून बनाने की यह तीसरी कोशिश है। इससे पहले 2005 और 2008 में भी बिल विधानसभा से पारित हुआ था, लेकिन दोनों बार गवर्नर ने मंजूरी नहीं दी थी। 2025 में यह बिल अंततः कानून बन गया है.


सुप्रीम कोर्ट में चुनौती की तैयारी

कई सामाजिक संगठन और विपक्षी दल इस कानून को संविधान में दिए गए धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन मानते हैं। वे सुप्रीम कोर्ट में इस कानून को चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं। गौरतलब है कि देश के 12 राज्यों में पहले से धर्मांतरण कानून लागू हैं और सभी के मामले सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं.


राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

भाजपा नेताओं ने गवर्नर के फैसले का स्वागत किया और इसे धर्म परिवर्तन की घटनाओं पर रोक के लिए आवश्यक कदम बताया। वहीं, कांग्रेस और भारत आदिवासी पार्टी समेत कई विपक्षी दलों ने इस कानून पर सवाल उठाए और कहा कि यह समाज में ध्रुवीकरण बढ़ा सकता है.