राजस्थान में बारिश का कहर: सवाई माधोपुर में जमीन धंसी, राहत कार्य जारी

राजस्थान में बारिश से उत्पन्न संकट
राजस्थान समाचार: राजस्थान के विभिन्न जिलों में भारी बारिश ने जनजीवन को प्रभावित कर दिया है। सवाई माधोपुर में स्थिति अत्यंत गंभीर हो गई है, जहां सुरवाल बांध के ओवरफ्लो होने के कारण जमीन धंस गई, जिससे लगभग दो किलोमीटर लंबी खाई बन गई है। इस खाई के निर्माण ने पूरे क्षेत्र में दहशत फैला दी है।
खाई का निर्माण और उसके प्रभाव
स्थानीय निवासियों के अनुसार, रविवार को बांध का पानी खेतों की ओर बहने लगा, जिससे 2 किलोमीटर लंबी, 100 फीट चौड़ी और 50 फीट गहरी खाई बन गई। इसका सबसे बुरा असर जड़ावता गांव पर पड़ा, जहां दो घर, दो दुकानें और दो मंदिर इस घटना में ध्वस्त हो गए।
बारिश का संकट और कृषि पर प्रभाव
बारिश का संकट
राजस्थान के कई क्षेत्रों में लगातार बारिश ने संकट पैदा कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह बारिश जारी रही, तो स्थिति और बिगड़ सकती है। प्रभावित क्षेत्र मुख्यतः कृषि भूमि है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है।
ग्रामीणों की मुश्किलें
खेतों और गांवों में बाढ़
जड़ावता गांव के पास बनी खाई के कारण खेत जलमग्न हो गए हैं और पानी घरों तथा दुकानों में घुस गया है। ग्रामीणों का कहना है कि मिट्टी का कटाव रोकना अब लगभग असंभव हो गया है। कई गांव पूरी तरह से पानी में घिर चुके हैं, जिससे ग्रामीणों का संपर्क टूट गया है।
राहत कार्यों की शुरुआत
सेना और राहत बल की तैनाती
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सेना और राहत बल को तैनात किया गया है। प्रशासन ने आसपास के घरों को खाली करवा लिया है और लगातार स्थिति पर नजर रखी जा रही है। राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं ताकि नुकसान को कम किया जा सके।
स्थानीय नेताओं का दौरा
मंत्री और विधायक का दौरा
जैसे ही जमीन धंसने और बांध के ओवरफ्लो की खबर फैली, कैबिनेट मंत्री और स्थानीय विधायक करोड़ी लाल मीणा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने पहुंचे। उन्होंने अधिकारियों को मशीनों की मदद से पानी की दिशा बदलने के निर्देश दिए। हालांकि, ग्रामीणों ने चिंता जताई है कि स्थिति को नियंत्रित करना अब बहुत कठिन होगा।
अन्य प्रभावित जिले
कोटा, बूंदी और झालावाड़ में स्थिति गंभीर
राजस्थान में बारिश ने कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर और झालावाड़ जिलों में भारी तबाही मचाई है। कोटा जिले के दीगोद उपखंड और हरिजी का निमोदा गांव में 400 से अधिक कच्चे और पक्के मकान ढह गए हैं। कई गांव पूरी तरह डूब चुके हैं, जिससे जनजीवन ठप हो गया है।