राजस्थान में सड़क हादसे में प्रोफेसर की मौत, अस्पताल की लापरवाही पर उठे सवाल

दर्दनाक सड़क हादसा
राजस्थान के अलवर जिले में एक दुखद घटना हुई है, जहां एक प्रोफेसर को सड़क दुर्घटना में गंभीर चोटें आईं, लेकिन अस्पताल में समय पर उपचार न मिलने के कारण उनकी जान चली गई। अलवर के राजीव गांधी अस्पताल में इलाज में देरी का कारण आधार कार्ड की अनुपस्थिति बताया गया, जिससे प्रोफेसर की मृत्यु हो गई। इस घटना ने न केवल उनके परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था पर भी गंभीर प्रश्न उठाए हैं.
हादसे का विवरण
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, गांधी उच्च माध्यमिक विद्यालय में हिंदी पढ़ाने वाले प्रोफेसर उमेश यादव रविवार को पटवारी परीक्षा में ड्यूटी के बाद अपनी कार से घर लौट रहे थे। नौरंगाबाद गांव के पास उनकी कार को एक अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी, जिससे उनकी कार पलट गई और उमेश गंभीर रूप से घायल हो गए। स्थानीय लोगों ने तुरंत उनके परिवार को सूचित किया और वे उन्हें राजीव गांधी अस्पताल ले गए.
अस्पताल में इलाज में देरी
अस्पताल पहुंचने पर स्टाफ ने परिजनों से मरीज का आधार कार्ड मांगा। चूंकि उनके पास आधार कार्ड नहीं था, अस्पताल के स्टाफ ने पर्ची नहीं बनाई और इलाज शुरू नहीं किया। इस दौरान उमेश स्ट्रेचर पर तड़पते रहे। जब परिजनों ने हंगामा किया, तब जाकर डॉक्टरों ने उनकी देखभाल की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और उमेश की मृत्यु हो गई.
पुलिस कार्रवाई और परिवार का दुख
परिजनों का आरोप है कि अगर समय पर इलाज मिल जाता तो उमेश की जान बचाई जा सकती थी। उनका कहना है कि अस्पताल के स्टाफ की लापरवाही ने उन्हें एक बेटे से वंचित कर दिया। घटना के बाद पुलिस को सूचित किया गया, जिन्होंने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और आरोपी वाहन चालक की तलाश शुरू कर दी है.
परिवार की स्थिति
उमेश यादव की उम्र लगभग 30 वर्ष थी और उनका विवाह 6 फरवरी 2025 को होना था। उनकी पत्नी पीडब्ल्यूडी विभाग में जूनियर इंजीनियर हैं। दुख की बात यह है कि उमेश के परिवार ने 11 साल पहले उनके भाई को भी सड़क हादसे में खोया था। अब एक और बेटे की मौत से परिवार पूरी तरह टूट चुका है। परिजनों ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ लिखित शिकायत देने का निर्णय लिया है। पुलिस ने बताया कि अज्ञात वाहन चालक की तलाश जारी है और उसे जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा.