राज्य में साइबर अपराधों की बढ़ती संख्या: युवाओं को निशाना बनाकर हो रही ठगी

साइबर ठगी के आंकड़े
1 मई 2021 से 13 जुलाई 2025 के बीच राज्य में फिशिंग, ओटीपी धोखाधड़ी, फर्जी नौकरी के नाम पर ठगी, नकली कस्टमर केयर और सोशल मीडिया पर झूठी प्रोफाइल बनाकर लोगों ने 1,054 करोड़ रुपये खो दिए। हालांकि, पुलिस केवल 0.18% यानी 1.94 करोड़ रुपये ही वापस ला सकी। इस दौरान 105 करोड़ रुपये संदिग्ध खातों में फ्रीज किए गए, लेकिन उनमें से बहुत कम राशि वसूल की जा सकी।
पुलिस की जांच की स्थिति
राज्य में 2020 से अब तक साइबर ठगी से संबंधित 1,193 एफआईआर दर्ज की गई हैं। इनमें से केवल 585 मामलों में चार्जशीट दाखिल की गई है, जबकि बाकी मामलों की जांच अधूरी है या उन्हें खारिज कर दिया गया है। यह दर्शाता है कि पुलिस और साइबर अपराध नियंत्रण इकाई की क्षमता अपराधियों की तेजी और तकनीकी समझ के सामने कमजोर पड़ रही है।
सोशल मीडिया का दुरुपयोग
सोशल मीडिया बना सबसे बड़ा हथियार
पिछले चार वर्षों में साइबर अपराधों में से 37% से 53% मामले सोशल मीडिया के दुरुपयोग से जुड़े हैं। 2022 में 1,021 मामलों में से 542 मामले सोशल मीडिया से संबंधित थे। 2023 में यह संख्या 428, 2024 में 396 और 2025 में अब तक 242 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें साइबर बुलीइंग, सेक्सटॉर्शन और फर्जी प्रोफाइल बनाकर ब्लैकमेलिंग जैसे गंभीर अपराध शामिल हैं।
युवाओं पर प्रभाव
युवाओं को बनाया जा रहा है निशाना
इन अपराधों का सबसे बड़ा शिकार युवा वर्ग है। 2022 में 70%, 2023 में 76%, 2024 में 65% और 2025 में अब तक 67% पीड़ित युवा हैं। वहीं, मामलों के निपटारे की दर लगातार गिर रही है। 2022 में यह दर 70% थी, जो 2025 में घटकर केवल 27% रह गई है।
सरकार की जवाबदेही
जवाबदेही और संसाधनों की कमी
भाजपा विधायक रीति पाठक के सवाल के जवाब में सरकार ने बताया कि बैंकिंग फ्रॉड और अन्य डिजिटल ठगी के मामले दूसरे नंबर पर हैं। ये आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि राज्य की साइबर अपराध रोकथाम व्यवस्था अपराधियों की तकनीक और नेटवर्किंग के सामने कहीं नहीं ठहरती। जब तक प्रशिक्षण, संसाधनों का आधुनिकीकरण और जवाबदेही सुनिश्चित नहीं की जाती, तब तक अपराध और न्याय के बीच की यह खाई और चौड़ी होती जाएगी।