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राज्यसभा में नड्डा और खड़गे के बीच बढ़ता विवाद

राज्यसभा में नेता सदन जेपी नड्डा और नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच मानसून सत्र के दौरान लगातार टकराव हो रहा है। दोनों के बीच की बहस ने सत्र की कार्यवाही को गरमाया है। नड्डा ने खड़गे की बातों को रिकॉर्ड में नहीं जाने देने की बात कही, जबकि खड़गे ने इसका विरोध किया। इस विवाद के पीछे भाजपा के नेताओं की कमी और विपक्ष के मजबूत चेहरे भी हैं। जानें इस राजनीतिक ड्रामे के पीछे की पूरी कहानी।
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राज्यसभा में नड्डा और खड़गे के बीच बढ़ता विवाद

राज्यसभा में टकराव की स्थिति

राज्यसभा में नेता सदन जेपी नड्डा और नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच मानसून सत्र के दौरान लगातार टकराव देखने को मिल रहा है। सत्र की शुरुआत के साथ ही दोनों के बीच विवाद उत्पन्न हुआ। 21 जुलाई को, यानी सत्र के पहले दिन, इन दोनों के बीच तीखी बहस हुई थी। इस बहस के दौरान, जेपी नड्डा ने खड़गे पर चिल्लाते हुए कहा कि उनकी कही गई बातें रिकॉर्ड में नहीं जाएंगी। हालांकि, यह तय करना सभापति का काम होता है। लेकिन उस समय सभापति जगदीप धनखड़ चुप रहे, और नड्डा ने दोहराया कि खड़गे की बातें रिकॉर्ड में नहीं जाएंगी। उसी दिन शाम को जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दे दिया था। इस दिन की कार्यवाही में नड्डा और खड़गे का विवाद मुख्य आकर्षण बना।


संसद में लगातार विवाद

इसके बाद, लगभग हर दिन दोनों के बीच विवाद जारी रहा। संसद के मानसून सत्र का अंतिम सप्ताह सोमवार, 18 अगस्त को शुरू हुआ, और उस दिन भी उच्च सदन में नड्डा और खड़गे के बीच तीखी कहासुनी हुई। मतदाता सूची में गड़बड़ी और चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर दोनों के बीच गरमागरम बहस हुई। आमतौर पर, दोनों सदनों में नेता कम बोलते हैं या विपक्षी पार्टियों के साथ झगड़ते नहीं हैं। इसके अलावा, जेपी नड्डा तिहरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं; वे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री भी हैं। इस स्थिति में विपक्ष के नेता के साथ उनका झगड़ना हैरान करने वाला है।


भाजपा के नेताओं की कमी

ऐसा प्रतीत होता है कि राज्यसभा में भाजपा के पास प्रभावशाली नेताओं की कमी हो गई है। पार्टी ने अपने कई बड़े और मुखर वक्ताओं को लोकसभा चुनाव में उतार दिया था, और वे सभी जीतकर अब लोकसभा में हैं। पहले, पीयूष गोयल सदन के नेता थे, लेकिन वे भी लोकसभा का चुनाव जीतकर वहां चले गए। उनकी जगह जेपी नड्डा को सदन का नेता बनाया गया है। इसी तरह, भूपेंद्र यादव और धर्मेंद्र प्रधान जैसे नेता भी लोकसभा में चले गए हैं। अब स्थिति यह है कि राज्यसभा में कुछ रिटायर अधिकारी और विभिन्न जातीय समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाले कुछ प्रतीकात्मक चेहरे हैं। हालांकि, सुधांशु त्रिवेदी जैसे कुछ नेता अब भी राज्यसभा में हैं, लेकिन विपक्ष की ओर से बड़े चेहरे मौजूद हैं, जैसे सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे। इस कारण, नड्डा को खुद कमान संभालनी पड़ रही है।