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रामदास अठावले का बयान: हिंदी को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा देने की आवश्यकता

केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने छत्तीसगढ़ में एक बयान में कहा कि हिंदी हमेशा से हमारी राष्ट्रीय भाषा रही है। उन्होंने महाराष्ट्र में चल रहे त्रिभाषा नीति विवाद पर अपनी राय साझा की, जिसमें उन्होंने कहा कि पहली कक्षा से हिंदी को अनिवार्य करना आवश्यक नहीं है। अठावले ने फडणवीस सरकार के निर्णय की सराहना की और हिंदी के सम्मान की आवश्यकता पर जोर दिया। इस विवाद में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे जैसे नेताओं का विरोध भी शामिल है।
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रामदास अठावले का बयान: हिंदी को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा देने की आवश्यकता

केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले का बयान

केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले का बयान: महाराष्ट्र में चल रहे भाषा विवाद पर केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। छत्तीसगढ़ के रायपुर में मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, "हिंदी हमेशा से हमारी राष्ट्रीय भाषा रही है और हम इसका सम्मान करते हैं।" हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि पहली कक्षा से हिंदी को अनिवार्य करना आवश्यक नहीं है। अठावले ने बताया कि बच्चे छह से सात साल की उम्र में स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई करते हैं और हाई स्कूल तथा कॉलेज स्तर पर हिंदी का अध्ययन किया जा सकता है.


महाराष्ट्र में भाषा विवाद पर अठावले की राय:


महाराष्ट्र में त्रिभाषा नीति को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब सरकार ने मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने का आदेश जारी किया। इस निर्णय का विरोध शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने किया। विरोध के बढ़ने पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 24 जून को इस नीति को वापस लेने की घोषणा की और शिक्षाविद् डॉ. नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया, जो तीन महीने में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी.




हिंदी का सम्मान आवश्यक है:


अठावले ने फडणवीस सरकार के इस निर्णय की सराहना करते हुए कहा, "फडणवीस सरकार ने कोई आंदोलन होने से पहले ही इस नीति को रद्द कर एक बड़ा कदम उठाया।" उन्होंने यह भी कहा कि मराठी स्कूलों में अन्य भाषाओं को पढ़ाने की आवश्यकता पर कुछ लोगों ने सवाल उठाए, लेकिन हिंदी का सम्मान करना आवश्यक है। इससे पहले, अठावले ने 26 जून को मुंबई में उद्धव और राज ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा था कि हिंदी का विरोध करना असंवैधानिक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंदी एक सामान्य भाषा है, जो कई राज्यों में बोली जाती है और इसका विरोध नहीं होना चाहिए।