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राष्ट्रपति ने ग्रामीण रोजगार गारंटी विधेयक को दी मंजूरी, 125 दिनों की होगी वैधानिक गारंटी

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 'विकसित भारत-रोजगार और आजीविका के लिए गारंटी मिशन (ग्रामीण): वीबी-जी राम जी विधेयक, 2025' को मंजूरी दी है। यह नया कानून महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का स्थान लेगा और ग्रामीण परिवारों को 125 दिनों की मजदूरी रोजगार की वैधानिक गारंटी प्रदान करेगा। सरकार का दावा है कि इससे ग्रामीण परिवारों की आय सुरक्षा में सुधार होगा। हालांकि, विपक्ष ने इस विधेयक पर सवाल उठाए हैं। जानें इस विधेयक के प्रमुख पहलू और इसके प्रभाव।
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राष्ट्रपति ने ग्रामीण रोजगार गारंटी विधेयक को दी मंजूरी, 125 दिनों की होगी वैधानिक गारंटी

राष्ट्रपति की मंजूरी से नया कानून लागू

नई दिल्ली - राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को 'विकसित भारत-रोजगार और आजीविका के लिए गारंटी मिशन (ग्रामीण): वीबी-जी राम जी विधेयक, 2025' को स्वीकृति प्रदान की है।


इस मंजूरी के साथ, यह विधेयक अब कानून बन गया है, जो दो दशकों से चल रहे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का स्थान लेगा। नया कानून केंद्र सरकार के 'विकसित भारत-2047' के दृष्टिकोण से जुड़ा हुआ है और इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार को अधिक उत्पादक और टिकाऊ बनाना है, साथ ही अवसंरचना विकास को भी बढ़ावा देना है।


इस नए अधिनियम की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह ग्रामीण परिवारों को प्रति वित्तीय वर्ष 125 दिनों की मजदूरी रोजगार की वैधानिक गारंटी प्रदान करेगा, जो मनरेगा के 100 दिनों से 25 दिन अधिक है। सरकार का दावा है कि इससे ग्रामीण परिवारों की आय सुरक्षा में सुधार होगा और वे राष्ट्रीय विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकेंगे।


जहां सरकार इसे ग्रामीण भारत के लिए एक ऐतिहासिक कदम मानती है, वहीं विपक्ष ने मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाने और राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डालने का आरोप लगाया है।


विधेयक में मजदूरी का भुगतान साप्ताहिक या अधिकतम 15 दिनों में अनिवार्य किया गया है, और विलंब होने पर मुआवजा भी दिया जाएगा। कृषि मौसम को ध्यान में रखते हुए, राज्यों को 60 दिनों की विराम अवधि का प्रावधान दिया गया है, ताकि श्रमिक बुवाई और कटाई के समय उपलब्ध रहें। इसमें कार्य चार प्रमुख क्षेत्रों से संबंधित होंगे, जैसे जल सुरक्षा, ग्रामीण अवसंरचना, आजीविका अवसंरचना, और मौसम की प्रतिकूलताओं से निपटने के उपाय।


वित्तीय ढांचे में केंद्र-राज्य साझेदारी 60:40 होगी, जबकि पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए यह 90:10 होगी। प्रशासनिक व्यय की सीमा को 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 9 प्रतिशत किया गया है। सरकार का कहना है कि यह कानून ग्रामीण रोजगार को कल्याण से आगे बढ़ाकर दीर्घकालिक विकास का साधन बनाएगा।


गौरतलब है कि यह विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष के भारी विरोध के बीच पारित किया गया था। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इसे ग्रामीण गरीबों के अधिकारों पर हमला बताया। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया कि रोजगार का अधिकार मजबूत हुआ है और परिसंपत्ति निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।