राष्ट्रपति ने सदानंदन मास्टर को राज्यसभा के लिए नामित किया
सदानंदन मास्टर का संघर्ष और उपलब्धियां
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज चार व्यक्तियों को राज्यसभा के लिए नामित किया है, जिनमें से एक हैं सी. सदानंदन मास्टर। आज हम उनके जीवन के बारे में जानेंगे, जिन्होंने युवावस्था में विपक्ष के एक घातक हमले में अपने दोनों पैर खो दिए, फिर भी उन्होंने अपने राजनीतिक और सामाजिक कार्यों को जारी रखा।सदानंदन मास्टर का जन्म केरल के कन्नूर जिले में हुआ। उनके परिवार में वामपंथी विचारधारा का प्रभाव था, लेकिन उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर रुख किया और केवल बारह साल की उम्र में संघ के स्वयंसेवक बन गए।
25 जनवरी, 1994 को, उनके राजनीतिक विरोधियों ने उन पर जानलेवा हमला किया, जिसमें उन्होंने अपने दोनों पैर गंवा दिए। उस समय उनकी उम्र लगभग 30 वर्ष थी। यह हमला कथित तौर पर वामपंथी माकपा कार्यकर्ताओं द्वारा किया गया था। इसके बावजूद, सदानंदन ने अपने राजनीतिक और सामाजिक कार्यों को नहीं छोड़ा।
एक शिक्षक के रूप में, उन्होंने 1999 से 2020 तक केरल के एक स्कूल में कार्य किया और वर्तमान में वे राष्ट्रीय शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष हैं। इसके साथ ही, वे 'देशीय अध्यापक वार्ता' पत्रिका के संपादक भी हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके कार्यों की सराहना करते हुए इसे प्रेरणादायक बताया है। उन्होंने कहा कि सदानंदन मास्टर का जीवन साहस और अन्याय के खिलाफ खड़े होने का उदाहरण है।
सदानंदन ने 2021 में केरल विधानसभा चुनाव भी लड़ा था। उनकी पत्नी भी शिक्षिका हैं और उनकी बेटी उच्च शिक्षा प्राप्त कर चुकी हैं। अब, शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को मान्यता देते हुए, राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 80(3) के तहत उन्हें राज्यसभा का सदस्य नियुक्त किया है।