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राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस पर गांधी स्मारक निधि में मुफ्त चिकित्सा सेवा

गांधी स्मारक निधि ने राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस का आयोजन किया, जिसमें मुफ्त प्राकृतिक चिकित्सा सेवाएं प्रदान की गईं। इस अवसर पर डॉ. संदीप जैन ने प्राकृतिक चिकित्सा के लाभों पर प्रकाश डाला और बताया कि यह दवाओं के बिना स्वास्थ्य को बनाए रखने का एक प्रभावी तरीका है। साधकों ने विभिन्न उपचार विधियों का लाभ उठाया। जानें इस दिन का महत्व और प्राकृतिक चिकित्सा के लाभ।
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राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस पर गांधी स्मारक निधि में मुफ्त चिकित्सा सेवा

राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस का आयोजन


पानीपत: गांधी स्मारक निधि द्वारा संचालित प्राकृतिक जीवन केन्द्र में राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस का आयोजन धूमधाम से किया गया। हर साल 18 नवंबर को पूरे देश में यह दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप जैन ने बताया कि प्राकृतिक चिकित्सा का उद्देश्य दवाओं के बिना उपचार करना है, जिससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है।


राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस पर गांधी स्मारक निधि में मुफ्त चिकित्सा सेवा
राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस पर गांधी स्मारक निधि में दी गई निशुल्क चिकित्सा सेवाएं


महात्मा गांधी का योगदान


डॉ. जैन ने बताया कि इस दिन को आयुष मंत्रालय ने 18 नवंबर 2018 को आधिकारिक रूप से घोषित किया था। 1945 में इसी दिन महात्मा गांधी अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा फाउंडेशन ट्रस्ट के आजीवन अध्यक्ष बने थे। उन्होंने प्राकृतिक चिकित्सा के लाभों को आम जनता तक पहुंचाने के लिए एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे। इस दिन जागरूकता शिविर, कार्यशालाएं और सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं।


प्राकृतिक चिकित्सा के लाभ


जैन ने बताया कि कोई भी व्यक्ति प्राकृतिक चिकित्सा का उपयोग करके अपने स्वास्थ्य को बनाए रख सकता है। उन्होंने बताया कि आजकल की जीवनशैली से संबंधित बीमारियों में प्राकृतिक चिकित्सा का महत्वपूर्ण योगदान है। सभी को योग, प्राणायाम और संतुलित आहार के माध्यम से स्वस्थ रहने का प्रयास करना चाहिए। प्राकृतिक जीवन केन्द्र में विभिन्न बीमारियों का उपचार प्राकृतिक चिकित्सा और पंचकर्म चिकित्सा द्वारा किया जाता है।


साधकों का लाभ


इस अवसर पर लगभग 20-25 साधकों ने नि:शुल्क प्राकृतिक चिकित्सा का लाभ उठाया, जिसमें जल नेति, रबड़ नेति, एनिमा, कुंजल और मिट्टी स्नान जैसी सेवाएं शामिल थीं। गांधी स्मारक निधि के सचिव आनंद कुमार शरण ने सभी साधकों से दवा रहित प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाने का आग्रह किया और कहा कि शरीर पंचतत्व से बना है, इसलिए सभी को प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाकर स्वस्थ रहना चाहिए।