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राहुल गांधी का चुनाव आयोग पर हमला: कर्नाटक में मतदाता हेरफेर के आरोप

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर कर्नाटक में मतदाता हेरफेर का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के पास इस संबंध में 100% सबूत हैं और चेतावनी दी कि वे इस मामले में चुप नहीं रहेंगे। राहुल ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने अनधिकृत मतदाताओं को जोड़ा है और वैध मतदाताओं को हटाया है। इस पर विपक्षी दलों ने भी विरोध प्रदर्शन किया है। जानें इस विवाद के पीछे की पूरी कहानी और इसके लोकतंत्र पर पड़ने वाले प्रभाव।
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राहुल गांधी का चुनाव आयोग पर हमला: कर्नाटक में मतदाता हेरफेर के आरोप

राहुल गांधी का चुनाव आयोग पर आरोप

कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने गुरुवार (24 जुलाई) को चुनाव आयोग पर तीखा आरोप लगाते हुए कहा कि कर्नाटक में "चुनावी धांधली को बढ़ावा" दिया जा रहा है। उन्होंने यह भी दावा किया कि उनकी पार्टी के पास मतदाता हेरफेर के "100 प्रतिशत सबूत" हैं और चेतावनी दी कि वे इस मामले में चुप नहीं रहेंगे। लोकसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि लोकतंत्र और संविधान को बर्बाद करने की कोशिश करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।


मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, राहुल गांधी ने कहा, "जब हम आपको दिखाने का निर्णय लेंगे, तो यह 100 प्रतिशत सबूत होगा, 90 प्रतिशत नहीं।" उन्होंने चुनाव आयोग को चेतावनी दी कि यदि उन्हें लगता है कि वे बच सकते हैं, तो वे गलत हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि हेरफेर में हजारों अनधिकृत नए मतदाताओं को जोड़ा गया है, जिनकी उम्र 50, 60 और 65 वर्ष है, जबकि 18 वर्ष से अधिक उम्र के वैध मतदाताओं को हटाया गया है।




कर्नाटक में मतदाता सूची में हेरफेर


राहुल गांधी ने कहा, "हमने केवल एक निर्वाचन क्षेत्र का अध्ययन किया और हमें यह मिला। मुझे पूरा विश्वास है कि हर निर्वाचन क्षेत्र में यही स्थिति है। हजारों नए मतदाता, उनकी उम्र कितनी है? -- 45, 50, 60, 65, एक ही निर्वाचन क्षेत्र में हजारों। मतदाता हटाना, मतदाता जोड़ना, 18 वर्ष से अधिक उम्र के नए मतदाता... हमने उन्हें पकड़ लिया है।" उन्होंने यह भी कहा कि यह कथित कदाचार बिहार में चुनावी मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) के दौरान भी हो रहा है।


चुनाव आयोग पर उठाए सवाल


राहुल गांधी ने कहा, "चुनाव आयोग भारत के चुनाव आयोग के रूप में कार्य नहीं कर रहा है।" उन्होंने आयोग के हालिया बयान को "पूरी तरह बकवास" बताया। अन्य विपक्षी नेताओं, जैसे समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, राजद के तेजस्वी यादव और डीएमके के टीआर बालू ने संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें "एसआईआर लोकतंत्र की हत्या है" और "न्याय, न्याय, न्याय" जैसे नारे लिखी तख्तियां दिखाई गईं। तेजस्वी यादव ने कहा कि महागठबंधन जरूरत पड़ने पर चुनाव बहिष्कार पर विचार कर सकता है।


विपक्ष का आरोप: हाशिए के मतदाताओं को निशाना


विपक्ष का आरोप है कि एसआईआर प्रक्रिया हाशिए पर रहने वाले मतदाताओं को निशाना बना रही है और राज्य चुनावों से पहले मतदाताओं के कुछ वर्गों को वंचित करने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस नेताओं ने चुनाव आयोग पर सत्तारूढ़ बीजेपी का पक्ष लेने और चुनावी निष्पक्षता पर बढ़ती चिंताओं का जवाब न देने का आरोप लगाया।


चुनाव आयोग का बचाव


इसके जवाब में, चुनाव आयोग ने अपनी संशोधन प्रक्रिया का बचाव किया और कहा कि इसका उद्देश्य स्वच्छ मतदाता सूची सुनिश्चित करना और अयोग्य मतदाताओं को हटाना है। आयोग ने बयान में कहा, "क्या चुनाव आयोग को मृत, प्रवासी या विदेशी मतदाताओं के नाम पर फर्जी वोटों की अनुमति देनी चाहिए?" उन्होंने कहा कि "पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से तैयार की जा रही प्रामाणिक मतदाता सूची निष्पक्ष चुनाव और मजबूत लोकतंत्र की आधारशिला है।


लगातार विरोध प्रदर्शन


सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग के बचाव के बावजूद, विपक्षी दल लगातार चौथे दिन विरोध प्रदर्शन करते रहे। वे मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया के दुरुपयोग पर दोनों सदनों में उचित चर्चा की मांग कर रहे हैं। यह विवाद भारत के लोकतंत्र की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठा रहा है।