राहुल गांधी का बिहार चुनाव से दूरी: क्या कांग्रेस की रणनीति कमजोर हो रही है?

राहुल गांधी की बिहार चुनाव में अनुपस्थिति
बिहार विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी की सक्रियता कम होती जा रही है। उनका आखिरी दौरा 24 सितंबर को पटना में हुआ था, जब वे कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में शामिल हुए थे। इससे पहले, उन्होंने एक सितंबर को पटना में वोटर अधिकार मार्च किया था और इसके लिए 16 दिनों तक बिहार में यात्रा की थी। इस दौरान, वे कम से कम पांच बार बिहार आए थे और चुनावी माहौल बनाने में जुटे थे। लेकिन 24 सितंबर के बाद से, वे बिहार के राजनीतिक परिदृश्य से गायब हैं। कांग्रेस कार्य समिति की बैठक के बाद, राहुल गांधी दक्षिण अमेरिका के दौरे पर चले गए, जहां वे 10 दिनों से अधिक समय तक रहे। इस बीच, चुनाव आयोग ने बिहार में अंतिम मतदाता सूची जारी की, जबकि राहुल ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर कोई ध्यान नहीं दिया।
दिल्ली में राहुल की गतिविधियाँ
दक्षिण अमेरिका से लौटने के बाद, राहुल गांधी ने पिछले हफ्ते बिहार पर कोई ध्यान नहीं दिया। जब लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव दिल्ली आए, तब भी उन्होंने उनसे मिलने का प्रयास नहीं किया। तेजस्वी ने राहुल से मिलने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं मिले। इसके बाद, राहुल गांधी चंडीगढ़ गए, जहां उन्होंने हरियाणा के दलित आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार के परिवार से मुलाकात की। चंडीगढ़ से लौटकर, वे शिमला चले गए।
बिहार के नेताओं से दूरी
यह आश्चर्यजनक है कि राहुल गांधी ने बिहार के नेताओं के साथ चुनावी चर्चा करने का समय नहीं निकाला। उन्होंने केवल एक वर्चुअल मीटिंग की, जो औपचारिकता के लिए थी। इसके बाद, वे दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिले और फिर रायबरेली जाने का कार्यक्रम बनाया। वहां, एक दलित व्यक्ति की हत्या के मामले में परिवार से मिले। हालांकि, परिवार ने कहा कि उन्हें राजनीति की आवश्यकता नहीं है। इसके बाद, राहुल गुवाहाटी गए, जहां असम के प्रसिद्ध गायक जुबिन गर्ग की मौत को लेकर प्रदर्शन हो रहे थे।
कांग्रेस की रणनीति पर सवाल
कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने इस पर आश्चर्य व्यक्त किया है कि राहुल गांधी को हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और असम की चिंता है, लेकिन बिहार में जहां चुनाव की घोषणा हो चुकी है, वहां उनकी कोई सक्रियता नहीं है। राहुल ने सभी जिम्मेदारियाँ प्रभारी कृष्णा अल्लावारू पर छोड़ दी हैं, जिनकी वजह से पहले चरण के नामांकन के अंतिम दिन तक गठबंधन का निर्णय नहीं हो सका। अल्लावारू ने बिहार में क्रांति लाने के इरादे से कुछ सीटों के लिए पूरे महागठबंधन को दांव पर लगा दिया।