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राहुल गांधी का सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर स्वागत: आवारा कुत्तों के लिए नया दिशा-निर्देश

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का स्वागत किया है, जिसमें टीकाकृत और नसबंद किए गए आवारा कुत्तों को उनके मूल स्थान पर छोड़ने की अनुमति दी गई है। इस निर्णय को पशु प्रेमियों ने सराहा है। जस्टिस विक्रम नाथ के निर्देश के अनुसार, आवारा कुत्तों को पकड़ने के बाद उनका टीकाकरण और नसबंदी की जाएगी। हालांकि, यह आदेश उन कुत्तों पर लागू नहीं होगा जो रेबीज से संक्रमित हैं। जानें इस फैसले के पीछे की कहानी और इसके प्रभावों के बारे में।
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राहुल गांधी का सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर स्वागत: आवारा कुत्तों के लिए नया दिशा-निर्देश

सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

कांग्रेस के नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए एक महत्वपूर्ण फैसले का स्वागत किया है। इस फैसले में टीकाकृत और नसबंद किए गए आवारा कुत्तों को उनके मूल स्थान पर छोड़ने की अनुमति दी गई है। शीर्ष अदालत की तीन जजों की विशेष पीठ ने इससे पहले की दो जजों की बेंच के आदेश को पलटते हुए यह संशोधन किया है। इस निर्णय को पशु प्रेमियों और कार्यकर्ताओं ने भी सराहा है.


राहुल गांधी का बयान

राहुल गांधी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा, "मैं सुप्रीम कोर्ट के नए निर्देशों का स्वागत करता हूं। यह फैसला पशु कल्याण और सार्वजनिक सुरक्षा के बीच एक संतुलित और प्रगतिशील दृष्टिकोण को दर्शाता है।" उन्होंने आगे कहा कि यह निर्णय करुणा और वैज्ञानिक सोच का एक संयोजन है, जो समाज में सभी प्राणियों के लिए सह-अस्तित्व की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.


जस्टिस विक्रम नाथ के निर्देश

जस्टिस विक्रम नाथ ने शुक्रवार को निर्देश दिया कि दिल्ली-एनसीआर सहित अन्य क्षेत्रों में आवारा कुत्तों को पकड़ने के बाद उनका टीकाकरण और नसबंदी की जाए, और फिर उन्हें उसी स्थान पर वापस छोड़ा जाए जहां से उन्हें पकड़ा गया था.


विशेष परिस्थितियों में कार्रवाई

हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह आदेश उन कुत्तों पर लागू नहीं होगा जो रेबीज से संक्रमित हैं, जिनमें संक्रमण की आशंका है या फिर आक्रामक व्यवहार दिखा चुके हैं। ऐसे मामलों में अलग से कार्रवाई की जा सकती है.


जनता और पशु अधिकार संगठनों के बीच मतभेद

इससे पहले, दो जजों की बेंच ने सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में रखने का आदेश दिया था, जिस पर जनता और पशु अधिकार संगठनों में मतभेद उत्पन्न हुए थे। कुछ लोगों ने सवाल उठाया था कि समाज का हिस्सा बने इन कुत्तों को पूरी तरह अलग करना न तो मानवीय है और न ही व्यावहारिक.


नया फैसला: संवेदनशीलता और व्यावहारिकता

अब सुप्रीम कोर्ट का नया फैसला अधिक संवेदनशील और व्यावहारिक माना जा रहा है, जिससे न केवल आवारा कुत्तों के अधिकारों की रक्षा होगी, बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सकेगी.