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राहुल गांधी की मानवीय पहल: पुंछ के अनाथ बच्चों की शिक्षा का खर्च उठाने का संकल्प

राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले के 22 अनाथ बच्चों की शिक्षा का पूरा खर्च उठाने का संकल्प लिया है। यह निर्णय उन बच्चों के लिए है जिन्होंने हाल ही में आतंकवादी हमले में अपने माता-पिता को खो दिया। इस पहल की पुष्टि जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ने की है, और पहली किस्त जल्द ही जारी की जाएगी। राहुल गांधी ने बच्चों से बातचीत के दौरान उन्हें प्रोत्साहित किया और उनके प्रति संवेदनशीलता दिखाई। जानें इस मानवीय कदम के बारे में और अधिक जानकारी।
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राहुल गांधी की मानवीय पहल: पुंछ के अनाथ बच्चों की शिक्षा का खर्च उठाने का संकल्प

राहुल गांधी की संवेदनशील पहल

राहुल गांधी: मंगलवार को राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा प्रस्तावित है, लेकिन विपक्ष के नेता राहुल गांधी इस समय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक मानवीय निर्णय के कारण चर्चा में हैं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले के उन 22 बच्चों की शिक्षा का पूरा खर्च उठाने का वादा किया है, जिन्होंने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले और उसके बाद की पाकिस्तानी गोलाबारी में अपने माता-पिता या परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य को खो दिया। यह निर्णय न केवल ऑनलाइन सराहा जा रहा है, बल्कि इसे एक संवेदनशील राजनीतिक संदेश के रूप में भी देखा जा रहा है। राहुल गांधी की इस पहल ने उन्हें राजनीतिक और आम जनता दोनों से प्रशंसा दिलाई है।


राहुल गांधी का अनाथ बच्चों के लिए समर्थन

जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष तारिक हामिद कर्रा ने इस मानवीय पहल की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि राहुल गांधी इन बच्चों की स्नातक तक की पढ़ाई का पूरा खर्च उठाएंगे। सहायता की पहली किस्त बुधवार को जारी की जाएगी ताकि बच्चों की पढ़ाई में कोई रुकावट न आए।


पुंछ दौरे के दौरान बच्चों की पहचान

राहुल गांधी ने मई में पुंछ दौरे के दौरान पार्टी नेताओं को प्रभावित बच्चों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया था। इसके बाद एक सर्वेक्षण किया गया और सरकारी रिकॉर्ड की पुष्टि के बाद इन 22 बच्चों की अंतिम सूची बनाई गई। यह पहल विशेष रूप से उन बच्चों के लिए है जो अनाथ हो गए हैं या जिनके परिवार का एकमात्र सहारा सीमा पार से हुई गोलीबारी में मारा गया।


राहुल गांधी का स्कूल दौरा

अपनी यात्रा के दौरान, राहुल गांधी क्राइस्ट पब्लिक स्कूल भी गए, जहां गोलाबारी में मारे गए 12 वर्षीय जुड़वां बच्चों उर्बा फातिमा और जैन अली के सहपाठी पढ़ते हैं। उन्होंने बच्चों से बातचीत करते हुए कहा, 'मुझे तुम पर बहुत गर्व है। तुम्हें अपने नन्हे दोस्तों की याद आती है। मुझे इस बात का बहुत अफसोस है। चिंता मत करो, सब कुछ सामान्य हो जाएगा। खूब पढ़ाई करो, खूब खेलो और ढेर सारे दोस्त बनाओ।'


गोलाबारी में बच्चों को निशाना बनाया गया

पुंछ उन क्षेत्रों में से एक है जो पाकिस्तानी गोलाबारी से सबसे अधिक प्रभावित रहा है। जिया उल अलूम मदरसे पर हुई गोलीबारी में कई बच्चे घायल हुए। इस हिंसा में विहान भार्गव नामक एक बच्चा भी जान गंवा बैठा, जो अपने परिवार के साथ इलाके से भागने के दौरान छर्रे लगने से मारा गया।