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राहुल गांधी के चुनावी आरोपों पर चुनाव आयोग की सख्त प्रतिक्रिया: क्या है मामला?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं, जिसके बाद चुनाव आयोग ने उन्हें बातचीत के लिए बुलाया है। आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पत्र भी जारी किया है। राहुल गांधी ने अपने लेख में चुनावी प्रक्रिया में अनियमितताओं का जिक्र किया है और इसे 'लोकतंत्र में धांधली का ब्लूप्रिंट' बताया है। जानें इस विवाद के पीछे की पूरी कहानी और चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया।
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राहुल गांधी के चुनावी आरोपों पर चुनाव आयोग की सख्त प्रतिक्रिया: क्या है मामला?

राहुल गांधी के आरोपों पर चुनाव आयोग की कार्रवाई

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में गड़बड़ी के आरोप लगाते हुए नया विवाद खड़ा कर दिया है। चुनाव आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए 12 जून को राहुल गांधी को बातचीत के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन उनकी तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। आयोग ने अब इस संदर्भ में पत्र को सार्वजनिक कर दिया है।


आयोग द्वारा भेजा गया पत्र

आयोग ने भेजा था पत्र 


चुनाव आयोग के अनुसार, राहुल गांधी ने 7 जून को एक समाचार पत्र में लेख प्रकाशित कर आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र में चुनावी प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं हुई हैं, और यह प्रक्रिया बिहार चुनाव में भी दोहराई जा सकती है। इसके जवाब में आयोग ने उन्हें पत्र भेजकर मिलने या लिखित में अपना पक्ष रखने का अनुरोध किया था। आयोग ने यह भी कहा कि वे अपनी सुविधानुसार मिलने का समय और तारीख बताएं।


पारदर्शिता का दावा

चुनाव आयोग ने यह स्पष्ट किया कि इससे पहले भी कांग्रेस ने नवंबर 2024 में इसी तरह के आरोप लगाए थे, जिनका विस्तृत खंडन आयोग ने 24 दिसंबर 2024 को किया था। आयोग ने दोहराया कि महाराष्ट्र चुनाव पूरी पारदर्शिता के साथ संपन्न हुए थे, जिसमें 1 लाख से अधिक बूथ लेवल ऑफिसर, 288 रिटर्निंग अधिकारी, 139 जनरल ऑब्जर्वर और 1 लाख 26 हजार बूथ लेवल एजेंट्स शामिल थे।


राहुल गांधी का लेख और आरोप

लेख में पांच चरणों की एक योजना का जिक्र


राहुल गांधी ने अपने लेख में पांच चरणों की एक योजना का उल्लेख किया था, जिसमें आयोग की नियुक्तियों में गड़बड़ी, फर्जी मतदाता जोड़ने, स्वायत्त संस्थाओं को कमजोर करने, मीडिया पर नियंत्रण और मतगणना प्रक्रिया में हस्तक्षेप के आरोप शामिल थे। उन्होंने इसे 'लोकतंत्र में धांधली का ब्लूप्रिंट' बताया और इसे सोशल मीडिया पर साझा किया।