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रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप पर ED की बड़ी कार्रवाई: 35 ठिकानों पर छापेमारी

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में देशभर में 35 ठिकानों पर छापेमारी की है। यह कार्रवाई 2017 से 2019 के बीच यस बैंक द्वारा दिए गए कर्ज में अनियमितताओं की जांच का हिस्सा है। जांच में कर्ज मंजूरी में गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है, जिसमें बिना ड्यू डिलिजेंस के निवेश प्रस्तावों को मंजूरी देना शामिल है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और क्या है इसके पीछे की कहानी।
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रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप पर ED की बड़ी कार्रवाई: 35 ठिकानों पर छापेमारी

प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी

गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में देशभर में लगभग 35 स्थानों पर व्यापक छापेमारी की। यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत की गई है, जिसमें 50 से अधिक कंपनियों और 25 से ज्यादा व्यक्तियों की जांच की जा रही है.


कर्ज में अनियमितताओं की जांच

यह छापेमारी 2017 से 2019 के बीच यस बैंक द्वारा रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप को दिए गए लगभग ₹3,000 करोड़ के कर्ज में कथित अनियमितताओं की जांच का हिस्सा है.


कर्ज घोटाले की गंभीरता

ईडी के सूत्रों के अनुसार, यह जांच यस बैंक से रिलायंस ग्रुप को दिए गए बड़े कर्ज में हेरफेर और नियमों की अनदेखी के मामलों पर केंद्रित है। आरोप है कि कर्ज मंजूरी से पहले धनराशि यस बैंक के प्रमोटर्स से जुड़े संस्थाओं को भेजी गई, जिसे एजेंसी 'रिश्वत और लोन के गठजोड़' के रूप में देख रही है.


देशभर में एक साथ छापेमारी

ईडी ने एक साथ कई शहरों में 35 से अधिक ठिकानों पर कार्रवाई की। इस दौरान अनिल अंबानी ग्रुप से जुड़ी 50 से अधिक कंपनियों और 25 से ज्यादा संबंधित व्यक्तियों के घरों और दफ्तरों की तलाशी ली गई.


कर्ज मंजूरी में गड़बड़ियों की आशंका

जांच एजेंसी के अधिकारियों का कहना है कि लोन मंजूरी में 'गंभीर अनियमितताएं' पाई गई हैं। इनमें बिना ड्यू डिलिजेंस के निवेश प्रस्तावों को मंजूरी देना, बैक-डेटेड क्रेडिट अप्रूवल मेमो (CAM) तैयार करना, और बैंक की क्रेडिट नीति का उल्लंघन जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं.


जांच के पीछे की रिपोर्ट

ईडी की मनी लॉन्ड्रिंग जांच CBI द्वारा दर्ज की गई दो FIRs और राष्ट्रीय आवास बैंक (NHB), SEBI, नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (NFRA) और बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट्स पर आधारित है। इन रिपोर्ट्स में लोन मंजूरी और फंड डायवर्जन से जुड़े कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं.