रूस के लड़ाकू विमानों ने एस्टोनिया के हवाई क्षेत्र में घुसपैठ की, क्या है इसके पीछे का मकसद?

रूस की घुसपैठ पर एस्टोनिया की कड़ी प्रतिक्रिया
शुक्रवार को, रूस के तीन फाइटर जेट्स ने नाटो सदस्य एस्टोनिया के हवाई क्षेत्र में घुसपैठ की। ये विमान लगभग 12 मिनट तक एस्टोनियाई एयरस्पेस में रहे, जिस पर एस्टोनियाई सरकार ने कड़ी निंदा की है। यह घटना पोलैंड में हाल ही में हुई रूसी ड्रोन घुसपैठ के बाद आई है, जब 9 और 10 सितंबर की रात को 20 से अधिक रूसी ड्रोन ने पोलैंड की हवाई सीमा में प्रवेश किया था। नाटो के विमानों ने उन ड्रोन को नष्ट कर दिया था।
विश्लेषकों की राय
विश्लेषकों का क्या कहना है?
विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम रूस द्वारा नाटो की ताकत और तत्परता का परीक्षण करने का प्रयास हो सकता है। एस्टोनिया के अधिकारियों ने बताया कि रूसी मिग-31 जेट बिना अनुमति के देश के हवाई क्षेत्र में दाखिल हुए और लगभग 12 मिनट तक वहां रहे। इस घटना ने रूस और नाटो के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है।
एस्टोनिया के विदेश मंत्री की टिप्पणी
एस्टोनिया के विदेश मंत्री मार्गुस त्साहकना ने कहा कि इस साल रूस पहले भी चार बार एस्टोनिया की हवा का उल्लंघन कर चुका है, लेकिन शुक्रवार की घटना सबसे गंभीर मानी जा रही है। उन्होंने कहा कि रूस की इन हरकतों का जवाब राजनीतिक और आर्थिक दबाव के माध्यम से दिया जाना चाहिए।
रूसी रक्षा मंत्रालय की चुप्पी
रूसी रक्षा मंत्रालय ने नहीं की कोई टिप्पणी
रूसी रक्षा मंत्रालय ने इस घटना पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। एस्टोनियाई डिफेंस फोर्स के अनुसार, यह उल्लंघन वैंडलू द्वीप के आसपास हुआ, जो कि राजधानी टालिन से लगभग 100 किलोमीटर दूर है। रूस के विमान पहले भी वैंडलू द्वीप के ऊपर उड़ान भर चुके हैं, लेकिन इस बार उनका हवाई क्षेत्र में रहना पिछले मामलों की तुलना में अधिक समय तक रहा।
नाटो देशों के साथ एस्टोनिया का संबंध
एस्टोनिया सहित छह नाटो सदस्य देश रूस से सीमा साझा करते हैं। एस्टोनिया ने खुले तौर पर यूक्रेन का समर्थन किया है और मई में उसने बाल्टिक सागर में रूसी लड़ाकू विमानों की मौजूदगी की रिपोर्ट भी दी थी। नॉर्वे, लातविया, लिथुआनिया और पोलैंड भी रूस से सीमावर्ती हैं।
विशेषज्ञों की चेतावनी
नॉर्वेजियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स के विशेषज्ञ जेकब एम. गोडजिमिर्स्की का कहना है कि रूस अपने लड़ाकू विमानों के माध्यम से नाटो के रिएक्शन को जांचने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इस घटना को पोलैंड में हाल ही में हुए ड्रोन घुसपैठ के मामलों से जोड़कर देखना चाहिए, जिससे क्षेत्र में बढ़ते तनाव का पैमाना समझा जा सके।