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रूस ने START संधि के बावजूद परमाणु हथियारों पर नियंत्रण बनाए रखने का किया वादा

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को कहा कि अमेरिका के साथ नई START संधि समाप्त होने के बावजूद, रूस अगले एक वर्ष तक इस समझौते के तहत परमाणु हथियारों की सीमाओं का पालन करेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि संधि का समाप्त होना वैश्विक स्थिरता को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। इस लेख में जानें START संधि का महत्व, इसके तहत परमाणु हथियारों की सीमाएं और इसके कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियाँ।
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रूस ने START संधि के बावजूद परमाणु हथियारों पर नियंत्रण बनाए रखने का किया वादा

पुतिन का परमाणु हथियार संधि पर बयान

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को कहा कि अमेरिका के साथ नई START संधि समाप्त होने के बावजूद, रूस अगले एक वर्ष तक इस समझौते के तहत परमाणु हथियारों की सीमाओं का पालन करेगा। उन्होंने रूसी सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए चेतावनी दी कि इस संधि का समाप्त होना वैश्विक स्थिरता को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। पुतिन ने यह भी आशा व्यक्त की कि वाशिंगटन भी संधि की सीमाओं का सम्मान करेगा।


परमाणु हथियार नियंत्रण संधि का महत्व

नई START संधि, जो अमेरिका और रूस के बीच 2010 में हस्ताक्षरित हुई थी, अंतिम सक्रिय परमाणु हथियार नियंत्रण समझौता है। यह फरवरी 2011 में लागू हुई और 2021 में इसे 5 फरवरी, 2026 तक बढ़ा दिया गया। इसका मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के सामरिक परमाणु हथियारों को सीमित करना और नियंत्रण में रखना है, ताकि द्विपक्षीय संबंधों में स्थिरता बनी रहे।


इस संधि के तहत, दोनों पक्षों के पास 1,550 से अधिक सामरिक परमाणु हथियार नहीं होने चाहिए। इसमें अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें, पनडुब्बी से प्रक्षिप्त मिसाइलें और परमाणु-सक्षम भारी बमवर्षक शामिल हैं, जिन्हें 700 तक सीमित किया गया है। इसके अलावा, तैनात और गैर-तैनात लॉन्चरों की कुल संख्या 800 से अधिक नहीं हो सकती। संधि में विस्तृत सत्यापन उपाय भी शामिल हैं, जैसे स्थल निरीक्षण, नियमित डेटा आदान-प्रदान और सूचनाएं, जो पारदर्शिता और आपसी विश्वास सुनिश्चित करते हैं।


संधि के कार्यान्वयन में चुनौतियाँ

हालांकि, इस संधि को लागू करने में चुनौतियाँ भी सामने आई हैं। फरवरी 2023 में रूस ने निरीक्षण और रिपोर्टिंग में अपनी भागीदारी निलंबित कर दी, फिर भी उसने कहा कि संख्यात्मक सीमाओं का पालन जारी रहेगा। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि यह संधि फरवरी 2026 में समाप्त हो जाती है और इसका कोई प्रतिस्थापन नहीं बनता, तो दुनिया की दो सबसे बड़ी परमाणु शक्तियां पहली बार अपने हथियारों पर किसी कानूनी बाध्यकारी नियंत्रण के बिना रह जाएंगी। यह स्थिति परमाणु जोखिम और अविश्वास को बढ़ा सकती है और वैश्विक स्थिरता के लिए गंभीर चुनौती पेश कर सकती है।