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रूस में आए शक्तिशाली भूकंप ने दुनिया को किया हिलाकर रख दिया

हाल ही में रूस के कामचटका प्रायद्वीप में आए भूकंप ने दुनिया को हिला दिया है। इसकी तीव्रता 8.8 मापी गई है, जो हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से 14,300 गुना अधिक ऊर्जा उत्पन्न करती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस भूकंप का समुद्र के नीचे आना सुनामी का कारण बन सकता है, जिससे जापान और अमेरिका जैसे देशों में चिंता बढ़ गई है। जानें इस भूकंप के प्रभाव और सुनामी के संभावित खतरे के बारे में।
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रूस में आए शक्तिशाली भूकंप ने दुनिया को किया हिलाकर रख दिया

रूस जापान भूकंप: एक गंभीर चेतावनी

रूस जापान भूकंप: हाल ही में कामचटका प्रायद्वीप में आए भूकंप ने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। इस भूकंप की ताकत इतनी अधिक थी कि इसकी ऊर्जा हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से लगभग 14,300 गुना ज्यादा मानी जा रही है। वैज्ञानिकों के अनुसार, इस भूकंप में लगभग 9 x 10^17 जूल्स ऊर्जा उत्पन्न हुई, जो 6.27 मिलियन टन TNT के बराबर है, और यह किसी बड़े शहर को पूरी तरह से नष्ट करने की क्षमता रखती है।


मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह भूकंप पैसिफिक रिंग ऑफ फायर पर आया, जो भूकंपीय और ज्वालामुखीय गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध है। इस कारण रूस, जापान और अमेरिका जैसे देश चिंतित हैं, क्योंकि समुद्र के नीचे इस तरह का भूकंप सुनामी का कारण बन सकता है।


8.8 की तीव्रता का भूकंप

8.8 तीव्रता का भूकंप


भूकंप की तीव्रता को मॉमेंट मैग्नीट्यूड स्केल पर मापा जाता है, जो लॉगरिदमिक होता है, अर्थात एक अंक बढ़ने पर ऊर्जा 31.6 गुना बढ़ जाती है। इसे 'ग्रेट अर्थक्वेक' की श्रेणी में रखा गया है।


जापान और रूस में चिंता का कारण

जापान और रूस में डर क्यों है?


जापान में 2011 में आए 9.0 तीव्रता के तोहोकु भूकंप ने न केवल सुनामी उत्पन्न की थी, बल्कि फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट में विकिरण रिसाव भी हुआ था। इस घटना में लगभग 28,000 लोग मारे गए और 360 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। कामचटका क्षेत्र पहले से ही भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधियों के लिए संवेदनशील है। यहां की कम जनसंख्या के बावजूद, इसका प्रभाव जापान और अमेरिका तक पहुंच सकता है।


सुनामी का संभावित खतरा

सुनामी का खतरा


यदि इस स्तर का भूकंप समुद्र के नीचे आता है, तो यह विशाल सुनामी को जन्म दे सकता है, जैसा कि 2004 में हिंद महासागर में आए भूकंप ने किया था। उस समय लगभग ढाई लाख लोग मारे गए थे, जिनमें भारत, श्रीलंका और इंडोनेशिया शामिल थे। वैज्ञानिक इस स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए हैं, क्योंकि इस तरह के भूकंप केवल कंपन नहीं, बल्कि ऐतिहासिक आपदाएं भी ला सकते हैं।