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रूसी राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा से पहले कूटनीतिक विवाद: क्या है मामला?

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा से पहले एक कूटनीतिक विवाद ने तूल पकड़ लिया है। ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के राजनयिकों द्वारा प्रकाशित एक लेख में रूस को यूक्रेन युद्ध का जिम्मेदार ठहराया गया है, जिससे भारत नाराज है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसे अस्वीकार्य करार दिया है। इस लेख में पुतिन पर शांति वार्ता में देरी करने और गंभीर बातचीत से बचने का आरोप लगाया गया है। पुतिन की भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के साथ द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। जानें इस विवाद के पीछे की पूरी कहानी।
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रूसी राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा से पहले कूटनीतिक विवाद: क्या है मामला?

कूटनीतिक विवाद की शुरुआत


नई दिल्ली : रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा से पहले एक नया कूटनीतिक विवाद उत्पन्न हुआ है। ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के प्रमुख राजनयिकों द्वारा 1 दिसंबर को एक प्रमुख समाचार पत्र में प्रकाशित एक संयुक्त लेख ने भारत को नाराज कर दिया है। इस लेख में रूस को यूक्रेन युद्ध का जिम्मेदार ठहराया गया है और पुतिन पर मानव जीवन के प्रति अनदेखी का आरोप लगाया गया है।


भारत की प्रतिक्रिया

भारत ने इसे अस्वीकार्य बताया
भारतीय विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस कदम को अस्वीकार्य और असामान्य करार दिया। अधिकारियों ने कहा, "यह असामान्य है और किसी तीसरे देश के संबंधों पर सार्वजनिक सलाह देना कूटनीतिक प्रथा के अनुसार स्वीकार्य नहीं है। हमने इस पर ध्यान दिया है।"


लेख की मुख्य बातें

क्या कहा गया लेख में
यह लेख ब्रिटेन की हाई कमिशनर लिंडी कैमरन, फ्रांसीसी राजदूत थिएरी माथू और जर्मन राजदूत फिलिप एकरमन द्वारा लिखा गया था। लेख का शीर्षक था, 'दुनिया चाहती है कि यूक्रेन युद्ध खत्म हो जाए, लेकिन रूस शांति को लेकर गंभीर नहीं लगता।' इसमें रूस पर युद्ध की शुरुआत करने और गंभीर सैन्य कार्रवाई करने का आरोप लगाया गया है। लेख में यह भी कहा गया कि रूस साइबर हमलों और दुष्प्रचार के माध्यम से वैश्विक अस्थिरता फैला रहा है।


पुतिन पर आरोप और भारत-रूस संबंध

शांति वार्ता में देरी का आरोप
इस लेख में यह भी कहा गया कि पुतिन शांति वार्ता में देरी करते हैं और गंभीर बातचीत से बचते हैं। यह आरोप भारत-रूस संबंधों के संदर्भ में विशेष रूप से संवेदनशील है, क्योंकि पुतिन अपने भारत दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शिखर वार्ता करेंगे।


पूर्व विदेश सचिव की प्रतिक्रिया

कंवल सिब्बल की कड़ी प्रतिक्रिया
पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने इस लेख पर तीखी प्रतिक्रिया दी और इसे कूटनीतिक मानदंडों का उल्लंघन बताया। उन्होंने इसे भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करार दिया और कहा कि इसका उद्देश्य यूरोपीय समर्थक समूहों में रूस-विरोधी भावना उत्पन्न करना है। सिब्बल ने MEA से आग्रह किया कि वह सार्वजनिक रूप से असंतोष व्यक्त करें।


मोदी-पुतिन शिखर वार्ता

द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा
राष्ट्रपति पुतिन बृहस्पतिवार से भारत की दो दिवसीय यात्रा पर रहेंगे। इस दौरान वह प्रधानमंत्री मोदी के साथ वार्षिक शिखर वार्ता करेंगे, जिसमें व्यापार, रक्षा, ऊर्जा और तकनीक जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि वार्ता में यूक्रेन संघर्ष का मुद्दा उठ सकता है, लेकिन भारत का रुख स्पष्ट है कि युद्ध का समाधान केवल कूटनीति और बातचीत के माध्यम से ही संभव है।


भारत का स्थिर रुख

संवाद और शांति की दिशा में प्रयास
अधिकारियों ने यह भी कहा कि अमेरिका द्वारा संघर्ष को समाप्त करने के प्रयासों के संदर्भ में, भारत ऐसे कदमों का समर्थन करता है जो लड़ाई रोकने और स्थायी शांति की दिशा में ले जाएं। यह स्पष्ट करता है कि भारत रूस और पश्चिमी देशों के बीच संतुलित और निष्पक्ष भूमिका निभाने का प्रयास करता रहा है।